अदृश्य अन्याय – रजनी श्रीवास्तव अनंता

  जब से दोनों चाचा शहर जाकर बसें और दोनों बुआ की शादी हो गई, तब के बाद ऐसा पहली बार हुआ था कि बिना किसी तीज-त्योहार के परिवार के सारे लोग गांव में इकट्ठा हुए थे। कोई और दिन होता तो बड़ी अम्मा चहकती हुई सब की आवभगत में लगी होतीं।  मगर… आज वह … Read more

अविस्मरणीय स्मृति – सुधा शर्मा

 कई दिनों से चित्त बहुत उद्वेलित था। कुछ अच्छा नहीं  लग रहा था। मन बहुत विचलित हो रहा था ।    विचित्र परिस्थितियों में बचपन में बिछड़ गई थी अपनी  बडी बहन मोना से।वक्त के अन्तराल में हम दोनों अलग थलग हो गये थे ।दो दिशाओं में दो तरफ। बहुत समय तक एक दूसरे का समाचार … Read more

ये मान सम्मान मेरा नहीं मेरे बेटे का हो रहा है….. – भाविनी केतन उपाध्याय 

  ” क्यों री बहूरिया,मन ही मन क्यों मुस्कुरा रही है ?” कपड़ों को सुखाते हुए  अम्मा जी ने कहा।   ” कुछ नहीं अम्मा जी,बस ऐसे ही…” शालिनी ने शालीनता से अपनी ख्याल और साथ देने वाली अम्मा जी से कहा। ” ऐसे क्यों नहीं बहूरिया, कहना नहीं चाहती हैं तो मत कहो पर … Read more

इतना  फ़र्क़ क्यों टीचर – सुमिता शर्मा 

रचना और पुनीत एक शिक्षक दम्पति थे और दो  बेहद प्यारी जुड़वाँ बेटियोँ के माता पिता।पर दोनों में ज़मीन आसमान का अंतर था दिखने में। जहां  त्रिशा दिखने में बिल्कुल बार्बी डॉल सी लगती,वहीँ काकुल साधारण सी परन्तु बेहद कुशाग्र ।उसकी बोलती आँखे और मीठी बोली सबको पल भर में अपना बना लेती। रचना जहाँ … Read more

 हमें अपने बुढ़ापे के लिए भी कुछ बचत करनी चाहिए!! – मनीषा भरतीया

अरे भागवान सुनती हो क्या अरे ओ निलेश की मां कहां हो तुम??? हां हां सुन रही हूं ,बहरी नहीं हूं…. इतना क्यों चिल्ला रहे हैं ऐसी क्या बात हो गई है??? अरे सुनीता बात ही कुछ ऐसी है शर्मा जी को तो जानती हो जिनकी बेटी अवनी लाखों में एक है…. उन्हें हमारा नीलेश … Read more

मुझे किसी सहारे की जरूरत नहीं !! – स्वाती जैन

सुबह – सुबह कोमल को तैयार होते देख सासू मां बोली बहु , तुम इतने बड़े घर की बहु होकर ट्रेन में बैठोगी , हमारे घर का नाम मिट्टी में मिल जाएगा , लोग क्या कहेंगे ?? स्नेहलता जी बोलीं !!   कोमल बोली मम्मीजी मैं तो शादी के पहले भी इसी तरह ट्रेन में … Read more

” सहारा देने वाले ही बेसहारा हो गए ” – अमिता कुचया

नीना बहुत खुबसूरत सी लड़की है ,उसकी मां ने उसके बचपन में लोगों के यहां बर्तन धोने का काम किया और उसने भी बड़े ही मुश्किल भरे दिन देखें। आज उसे अपना बचपन याद आ रहा था ।जब मां ने कहा-” तू रश्मि मैम साब के यहां चली जा।” तब नीना ने कहा -“मां अब … Read more

सहारे – अनुज सारस्वत

“अरे अन्नू कुछ खा पीकर ही घर से निकला कर घर से बाहर ,घर खीर तो बाहर खीर “ अन्नू की को दादी की यही बात रह रह कर  याद आ रही थी। आखिरी बार फोन पर जब बात हुई दादी से उसके बाद दादी को अटैक पड़ा लेकिन किसी भी अस्पताल ने एडमिट करने … Read more

बड़ा हुआ तो क्या हुआ…? – पायल माहेश्वरी

बड़ा हुआ तो क्या हुआ, जैसे पेड़ खजूर पंथी को छाया नहीं, फल लागे अति दूर॥ खजूर के पेड़ की भाँति बड़े होने का कोई फायदा नहीं है, क्योंकि इससे न तो यात्रियों को छाया मिलती है, न इसके फल आसानी से तोड़े जा सकते हैं। अर्थात् बड़प्पन के प्रदर्शन मात्र से किसी का लाभ … Read more

प्रेम विवाह – शिप्रा श्रीवास्तव

हरदोई जैसी छोटी सी जगह मे आज़ से करीब बीस साल पहले जब घर की बहू के रूप में सिर्फ और सिर्फ दिन भर घरेलु काम काज मे जुटी , सिर पर पल्ला डाले सिर झुकाए सास की हर बात पर हाँ में हाँ मिलाती और खाली समय मे पड़ोसन से घर भर के उस … Read more

error: Content is Copyright protected !!