राधा की दीवानी पूरी दीवानी – मीनाक्षी सिंह

राधा देख तेरे बापू ही हैँ ना वो ???? राधा अपनी आँखों को धूप में मिचमिचाती हुई,, अपने हाथों को माथे पर रख दूर तक देखती रही ! अरे हाँ री रूपा ,बापू ही आ रहे हैँ ! मैं चली घर जाकर व्यवस्था देखूँ ! कितने दिनों बाद आयें हैँ बापू ! बातें भी तो … Read more

यादगार सफ़र – नरेश वर्मा

देहरादून से चली बस चंडीगढ़ के बस अड्डे में प्रवेश कर चुकी थी ।अड्डे में बस के प्रवेश करने से पहले ही यात्री सीटों से खड़े होकर अपनी अटैचियाँ और सामान सँभालने लगे थे ।सब को हड़बड़ी है उतरने की।इसी हड़बड़ी के माहौल में कंचन ने भी अपना बड़ा सा पर्स सँभाला और ऊपर से … Read more

कुम्भ का डर……. – विनोद सिन्हा “सुदामा”

सुबह सुबह पत्नीश्री की चूड़ियों की खनखनाहट से मेरी नींद खुली…… आँख खोल देखा तो पत्नीश्री सज-धजकर मुस्कुराते हुए चाय की प्याली हाँथों म़े लिए खड़ी है..पहले पहल तो लगा कि मैं कोई स्वप्न देख रहा हूँ…. क्योंकि आदतन पत्नीश्री इतनी सुबह सुबह इस तरह तैयार नहीं दिखती… मैंने दो तीन बार जोर से आँखें … Read more

सहारा…. – विनोद सिन्हा “सुदामा”

चंदा मामा से प्यारा मेरा मामा…. बचपन में मैं जब भी यह गाना सुनता था तो मुझे यह गाना चंद्रमा और मामा का तुल्नात्मक चित्रण या फिर मामा भांजे का प्रेम मात्र लगता था,लेकिन जैसे जैसे समय बीता इस गाने का मर्म ,चंद्रमा का प्रेम और मामा का महत्व समझ पाया,तब और जब एकमात्र मामा … Read more

मुझे भी सहारे की जरूरत हैं – स्वाती जैंन

संजना को लल्ला के जोर से रोने की आवाज आई तो संजना रसोई से तेजी से भागी और कमरे में जाकर लल्ला को गोद में लेकर अपना दूध पिलाने लगी !! लल्ला दूध पीकर शांत तो हो गया मगर उसका सोने का मन नही था , वह यहाँ – वहाँ देखने लगा और हाथ – … Read more

हम थे जिनके सहारे – कमलेश राणा

आलोक जी के पिता जी की सदर बाज़ार में रेडीमेड कपड़ों की पुश्तैनी दुकान है उन्होंने अपने पिता से व्यापार के गुर सीखकर उनके व्यवसाय को सफलता की नई ऊँचाईयों पर पहुंचाया अब उनका छोटा बेटा बसंत उनके साथ बैठता है। अच्छे संपन्न लोगों में गिनती है उनकी।    बसंत के दो भाई ऊँचे पदों … Read more

हम-तुम – मीता जोशी

“हेलो ,हाँ वसुधा ,थोड़ी देर में फ़ोन करता हूँ।” “जी “कह वसुधा ने फ़ोन रख दिया।बहुत से सवालों में उलझी वसुधा फ़ोन करने से पहले भी बेचैन थी और बाद में भी। कहीं मैं गलत तो नहीं कर रही?ये दुस्साहस तो नहीं… या विश्वासघात! मन कुंद था ।प्रश्न और उत्तर खुद-ब-खुद निकल रहे थे।देखा जाएगा … Read more

एक सहारा – रीमा महेंद्र ठाकुर

अनछुई डोर, विश्वास एक सहारा “” रीमा महेंद्र ठाकुर, कृष्णा चंद्र “ पारूल  लगभग दौडती हुई, फुटपाथ पर कदम बढा रही थी!  भारी टार्फिक की वजह से मानव ने पारूल को सडक के उस ओर  ही छोडा दिया था!  यहाँ से चली जाओगी,  मानव ने पूछा “ हा जी, आंखों ही आंखों में जबाब दिया, … Read more

संस्कारों का वास्तविक अर्थ – पिंकी सिंघल

“पापा अब तो आपको अपना प्रॉमिस पूरा करना ही होगा..आपने परीक्षाओं से पहले वायदा किया था कि कक्षा में अव्वल आए तो तुम्हें तुम्हारी मनपसंद जगह घुमाने लेकर चलेंगे..यह देखिए मेरी रिपोर्ट कार्ड !! मैने अपनी कक्षा में सबसे अधिक अंक पाकर प्रथम स्थान प्राप्त किया है ।अब आपका कोई बहाना नहीं चलेग।अब तो आपको … Read more

कुछ बुजुर्ग भी गलत होते है – संगीता अग्रवाल

” रीमा ओ रीमा बहु मेरी चाय नही आई अब तक !” किशोरीलाल जी अपने कमरे से चिल्लाए। ” अभी लाई बाबूजी दो मिनट बस !” रीमा ने रसोई से ही आवाज दी। ” तुम करती क्या हो पता नही जो एक चाय भी समय से नही दे सकती हो …तुम्हारी सास थी तो मुझे … Read more

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