अनमोल ज़िन्दगी – डॉ. अनुपमा श्रीवास्तवा

 होश आते ही रावी ने अपने चारो तरफ नजरों को गोल  गोल घुमाया। उसे पता नहीं चल पा रहा था कि वह इस वक्त कहां है और यहां कैसे आई। थोड़ा सा अपने  यादाश्त पर जोर डाला। कुछ याद आते ही वह जोर से चीख पड़ी-”  मैं यहां क्यूँ हूँ?,  “मैं यहां कैसे आई?” “मुझे … Read more

और जिंदगी मुस्कुरा उठी…. – संगीता त्रिपाठी

आज रेवती जी फिर उसी चौखट पर खड़ी थी, जहाँ कई साल पहले वो दुल्हन बन कर आई थी..। इन पांच सालों में कुछ नहीं बदला, दरवाजे का नीला रंग जरूर इन पांच सालों में थोड़ा बदरंग हो गया…,उनकी जिंदगी की तरह….,दरवाजा खोल कर सासू माँ मुँह फिरा चली गई.. वो पैर ही न छू … Read more

एक ऐसी भी जिंदगी – बालेश्वर गुप्ता

अरे छमिया मान भी जा,क्यूँ अपनी जवानी खराब कर रही है।अब रामू नहीं आयेगा।मेरी बात मान चल मेरी खोली में चलकर रह,वही मजा करेंगे।        देख गबरू मैंने तुझसे पहले भी कहा है,मैं नही तेरे साथ जाने वाली।देखना मेरा रामू जरूर आयेगा।        खूब सोचले छमिया,मेरे साथ ऐश करेगी,कल ही अपनी खोली में टीवी भी लगवा लिया … Read more

मेहनत के दम पर, बदली जिंदगी  – रोनिता कुंडू

अम्मा..! कल मेरा जन्मदिन है… मुझे भी रानू जैसी फ्रॉक पहनना हैं.. मासूम मुन्नी ने अपनी मां शारदा से कहा… शारदा:   बेटा…! यह गलत बात है… मैंने क्या सिखाया है तुम्हें…? कभी किसी की बराबरी नहीं करनी चाहिए… खासकर तो रानू बेबी की… बेटा..! उनकी जिंदगी अलग है और हमारी अलग… हम उनकी बराबरी … Read more

ज़िंदगी के रंग – ऋतु अग्रवाल

 ” माँ! इधर आओ ना।” मंजरी ने पूरे घर में शोर मचा रखा था।       “क्या बात है? पूरा घर सिर पर उठा रखा है।” आशा साड़ी के पल्लू से हाथ पोंछती हुई बाहर आई तो मंजरी ने उसे पकड़कर गोल गोल घुमा दिया।         “अरे! रुक तो! मुझे गिराएगी क्या? पगली!”आशा ने मंजरी को डपटा तो … Read more

आज मैं ऊपर, आसमां नीचे – सुषमा यादव

जिंदगी के रंग कई हैं, कभी वो हंसाती है तो कभी रुलाती है। सच में ये जिंदगी क्या, क्या तमाशे दिखाती है। कभी अर्श से फर्श पर पटकती है तो कभी फर्श से अर्श पर ले जाती है,, जी हां, जिंदगी इम्तिहान लेती है, मेरे स्कूल की बहुत ही बेहतरीन शिक्षिका और मेरी छोटी बहन … Read more

जब आए संतोष धन….!! – मीनू झा 

उसे जो कुछ मिला था जिंदगी में उसमें वो खुशी नहीं ढूंढ सकी… क्योंकि और ज्यादा और ज्यादा का लालच उसके दिलों दिमाग पर काबिज़ था…वो तो रूकने को तैयार ना थी पर जिंदगी को तो रूकना था ना! निशा की सबसे प्यारी दोस्त विजया की भाभी ने विजया के बारे में पूछने पर बताया,जो … Read more

जिंदगी – आरती झा आद्या

तो हम क्या कर सकते हैं। हमलोग भी इंसान हैं, भगवान नहीं। पैसे नहीं हैं तो सरकारी अस्पताल में जाइए…अमरनाथ हॉस्पिटल के मालिक डॉक्टर अमर मरीज के तीमारदारों पर चिल्ला रहे थे। डॉक्टर साहब…सरकारी अस्पताल बहुत दूर है। कुछ कीजिए डॉक्टर साहब। मेरे बेटे का बहुत खून बह गया है। मर जाएगा मेरा बेटा… एक … Read more

अमर प्रेम – ऋतु गुप्ता

क्या बाबू जी अब तो मान लो कि मां अब इस दुनिया में नहीं रहीं, कब तक यूं मां का फोटो लिए उसे दर दर ढूंढते रहोगे? आज आठ महीने हो गए पर आप हैं कि मानने को तैयार नहीं की मां…….अपने पिताजी से इतना कहने के बाद प्रभात आगे ना बोल पाया, वह खुद … Read more

अहसास … – सीमा वर्मा

मालती मात्र १७  की थी जब उसका  विवाह सुधीर के साथ सम्पन्न हुआ था ।  उसने जब से सपने देखना शुरू किया  था तभी से सोंचना भी उसका मन भी फूलों जैसा महका था सुधीर के साथ। यह उम्र ही होती है जब आप रंगीन और रूमानी दुनिया में रहते हैं ।  जिंदगी सतरंगी लगती … Read more

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