एहसान फरामोश – कमलेश राणा

सुजीत जी और विनय की बहुत अच्छी दोस्ती थी। सुजीत के पिताजी शहर के जाने माने डॉक्टर थे पैसा भी बहुत था ऐसा नहीं कि यह सब उनका ही कमाया हुआ हो उनके पुरखे भी काफी संपत्ति छोड़ गये थे लेकिन इसके बाद भी उन्हें और सुजीत को घमंड छू भी नहीं गया था बहुत … Read more

असली चेहरा – डॉ. अनुपमा श्रीवास्तवा

माँ को खुशी का ठिकाना नहीं था।वह अपने आँसू रोक नहीं पा रही थी। आखिर बहू-बेटे ने काम ही ऐसा किया था ! बहू ने रोजमर्रा के काम में आने वाले कुछ जरूरी समान साथ में दे दिये हैं।  अभी तक जिस नये घर का गृह प्रवेश भी नही हुआ था उसमें बेटा अपनी माँ … Read more

” मुखौटों की दुनिया ” – डॉ. सुनील शर्मा

मिसेज शर्मा आज किटी पार्टी में ख़ास मूड में थीं. सब को बताते हुए नहीं थक रही थीं कि उनके बेटे का रिश्ता बैंगलौर के एक उच्च व्यापारी घराने की लड़की से तय हो गया है. लड़की एम बी ए है तथा किसी विदेशी मल्टीनैशनल कंपनी में ऊंचे पद पर कार्यरत है. क्योंकि विवाह बैंगलौर … Read more

दोहरा चेहरा – समाज के लिए कुछ अपनों के लिए कुछ – संगीता अग्रवाल

” अरे तुम रीमा हो ना पर तुम यहाँ क्या कर रही हो ?” सुगंधा ने अपने कॉलेज की दोस्त को एक सस्ती कपड़ो की दुकान के बाहर खड़े देख पूछा। ” सुगंधा तुम अचानक यहां ?” रीमा खुश होते हुए अपनी दोस्त के गले लगती हुई बोली। ” हां वो मेरे पति का ट्रांसफर … Read more

कौन घर का चिराग़ – उषा गुप्ता

“बधाई हो ,आपको पुत्री रत्न प्राप्त हुआ है ।”डॉक्टर ने प्रसव के बाद आशा को बधाई देते हुए कहा।यह वह अस्पताल था जहाँ पुत्री के जन्म पर पूरे अस्पताल में मिठाई बाँटी जाती थी। आशा ने प्यार से बेटी का माथा चूम लिया।तभी सासु मां और पति अंदर आकर जोर-जोर से चिल्लाने लगे-” फिर से … Read more

वो एक माँ ही कर सकती है – ज्योति अप्रतिम

“अरे कहाँ हो भाई ।एक पखवाड़ा बीत गया है ,कोई बात नहीं हो पाई।सब ठीक तो है न !”मैंने किरण ,अपनी अभिन्न मित्र से फ़ोन पर पूछा। “हाँ ,सब ठीक ही है।” उदास सा स्वर सुन कर ही समझ आ गया कुछ तो दाल में काला है ! “स्पष्ट बताओ डिअर ! क्या हुआ ?”मैंने … Read more

लौटती जिंदगी – तृप्ति शर्मा

 छोटी आज सुबह से परेशान है ,बहुत प्यारी सफेद रंग की काली आंखों में मासूमियत और सब का प्यार पाने को लालायित। बच्चों का खिलौना, बच्चे कैसे भी उसके साथ खेलते वह कुछ भी ना कहती, सब के घर की रोटी की पहली हकदार छोटी। तीन बार मां बन चुकी थी पर उसका खुद का … Read more

ये है ज़िन्दगी  – मीनाक्षी सिंह

एक बार मैं अपने पतिदेव और दो बच्चों (5साल का बेटा अनय और 2 साल की बेटी अनिका ) के साथ ट्रैन की य़ात्रा कर रही थी ! कुछ ऐसी ईमरजेंसी थी कि उस दिन हमें स्लीपर से जाना पड़ा ! वैसे ज्यादातर एसी का ही सफर करते हैँ ! ये मैं इसलिये बता रही … Read more

ये जीवन हैं – गुरविंदर टूटेजा 

  रीमा क्या कर रही हो अभी गिरती तुम…अजय ने जोर से चिल्लाया..!! तुम्हें तो पता है ना कि इस दिन का मैं कब से इंतजार कर रही थी..आज भूमि पूजन हैं हमारा घर बननें जा रहा हैं…हमें ज़िंदगी की सबसे बड़ी खुशी मिल रही है…!! हाँ भाई पता है मुझे व बच्चों को सबको पता … Read more

जिन्दगी की खुशियां – माता प्रसाद दुबे

शाम के 7,बज रहे थे। रामप्रसाद अपनी ड्यूटी पूरी करके अपने घर पहुंच चुका था। वह राज्य सरकार  में सरकारी ड्राइवर के पद पर कार्यरत था। दिन भर गाड़ी चलाने के उपरांत वह थक कर चूर हो चुका था। मगर यह तो उसकी रोज की दिनचर्या थी।आज वह मानसिक तौर पर परेशान नजर आ रहा … Read more

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