वक्त से डरो – नीलम शर्मा : Moral Stories in Hindi

संध्या बेटा मुझे कुछ खाने को दे दो। सुबह तुमने बस  दलिया बनाया था, वही खाया था। आज तो तुमने दोपहर का खाना भी नहीं बनाया। मां जी अब मैं दोपहर का खाना नहीं बनाया करूंँगी। सुबह को ही पेट भरकर खा लिया करो। लेकिन बेटा मुझे शुगर है। जिसकी वजह से मैं ज्यादा देर … Read more

ममता -भावना कुलश्रेष्ठ : Moral Stories in Hindi

बरामदे में पड़ी झूली हुई सी कुर्सी अब भी वहीं थी — जहाँ वह हर शाम बैठा करती थी। दीवार पर घड़ी की टिक-टिक चलती रही, लेकिन कमरे में कोई आवाज़ नहीं थी। ना ही, अब यहाँ कोई उसे “माँ” कहकर पुकारता। कांता देवी — नाम जितना तेज, अब जीवन उतना ही मद्धम। एक समय … Read more

बेटियां -वीरेंद्र बहादुर सिंह 

राजेश सिंह के यहां जब तीसरी बेटी अस्तु पैदा हुई तो उनकी मां सीमा देवी नर्सिंग होम की सीढियां चढ़ कर बहू स्मिता का हालचाल पूछने पहुंच गईं। उम्र होने की वजह से सीढ़ियां चढ़ने में वह थक गई थीं। फिर भी हांफते हुए वह बहू के पलंग तक पहुंच ही गई थीं। सास की … Read more

वक्त से डरो – खुशी : Moral Stories in Hindi

सीता एक गृहिणी थीं उसके पति पारस सरकारी पानी विभाग में मीटर रीडर थे।जब वो गांव से आए तो उनके पास 4 बर्तन और कुछ ही सामान था। वो एक छोटे से कमरे में रहने लगे।उनके दो  बच्चे थे।पारस बड़ी मेहनत से काम करता तनख्वाह लिमिटिड थी तो खर्चे पूरे नहीं हो पाते थे।कुछ ही … Read more

पैरों की जूती –  डॉ बीना कुण्डलिया : Moral Stories in Hindi

हकीकत में महिलाओं के बिना संसार का कोई औचित्य नहीं है। लेकिन आज मर्दों की बहुत तादाद जो महिलाओं की कद्र नहीं करते ।इस संसार में ऐसे इंसान भी मौजूद है जो औरत को पैरों की जूती के समान समझते हैं। यह बात अलग है ऐसी सोच रखने वाले ज़िन्दगी भर जूते ही खाते हैं … Read more

विश्वास को खोते देर नहीं लगती – रेनू अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

प्रीति बहुत गहरी सोच में डूबी हुई थी। उसके सामने एक ऐसी सच्चाई खड़ी थी, जो उसके घर का सुख-चैन छीन सकती थी। एक तरफ़ परिवार का रिश्ता था और दूसरी तरफ सच्चाई का बोझ। अगर वह मुंह खोलती तो उसका ही घर बिखर सकता था। लेकिन अगर चुप रहती, तो एक बेगुनाह कामवाली पर … Read more

बंद दरवाजों के पीछे का थप्पड़ ‘-मीनाक्षी गुप्ता :Moral Stories in Hindi

सोनम की दुनिया एक बंद कमरे की घुटन से शुरू होकर उसी कमरे की ख़ामोशी में ख़त्म हो जाती थी। बाहर की दुनिया में उसका पति, मोहित, एक आदर्श, हँसमुख और प्यार करने वाला इंसान था। उसकी हँसी और बातों में सोनल के लिए फ़िक्र झलकती थी। पर यह सब एक ढोंग था, एक ऐसा … Read more

मां के आंसुओं का हिसाब – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi

भुलक्कड़ मां रीना अब नौकरी कर रही थी पुणे में।बचपन से तरस गई थी,परिवार के साथ कहीं घूमने जाने को। गर्मियों की दो महीने की लंबी छुट्टियों में हर बार पहाड़ ही जाते थे भाई-बहन मां के साथ।मां बारिश होने पर बड़े गर्व से पहाड़ों से गिरने वाले झरने भी दिखाती थी,खुशी से झूमते हुए … Read more

ईश्वर का न्याय – शुभ्रा मिश्रा : Moral Stories in Hindi

लता तुम अभी तक तैयार नहीं हुई? तुमको तो हरेक काम मे समय लगता है।  हम लड़की वालो के घर लेट से पहुंचेंगे तो वे लोग हमारे बारे मे क्या सोचेंगे? हम उन्हें क्या जबाब देंगे? किसी के घर समय से जाना चाहिए, पर तुम्हे तो हमारी इज्जत का कुछ ख्याल ही नहीं रहता है। … Read more

माँ के आँसुओं का हिसाब – Moral Stories in Hindi

एक छोटे से किराए के घर में, सरिता अपने नन्हे बेटे रवि के साथ रहती थी। दुनिया की नज़र में वो अकेली थी, पर रवि… रवि को बचपन से ही सब  नाजायज कहकर बुलाते थे । यह शब्द उसके नन्हे कानों में ऐसे चुभता था जैसे कोई तीखा पत्थर। हर गली-नुक्कड़ पर, स्कूल में, बाज़ार … Read more

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