लड़की बिना कैसा अस्तित्व !! – संगीता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

“अरे सुधा आज तो मोहल्ले में कोई कंजक ही नजर नहीं आ रही !” मनोहर जी बाहर से आ बोला। ” अरे ऐसे कैसे जी इतनी कंजक तो है हमारे मोहल्ले में फिर नजर क्यों ना आईं आपने ठीक से देखी ना होगी ।” सुधा जी बोली। ” सब जगह ढूंढा दूसरे मोहल्ले में भी … Read more

अंगारे उगलना – निमीषा गोस्वामी : Moral Stories in Hindi

मां आप कहां चली गई हो मुझे अकेला छोड़कर मौसी मां मुझे प्यार नहीं करती जब आप थी सब मुझे प्यार करते थे पापा भी और मौसी भी लेकिन जब से आप गई हो तब से सभी बदल गये है।मां सब कहते हैं कि आप भगवान के पास गई हो आप वापिस कब आओगी मुझे … Read more

अस्तित्व – मधु वशिष्ठ : Moral Stories in Hindi

——— दरवाजा खुलते ही मीना ने देखा कि सामने माताजी भी अपने फ्लैट में वापस आ गई थीं। हैरानी और खुशी से माताजी को मिलने के लिए गई। माताजी उसके सामने वाले फ्लैट में ही अकेली रहती थीं। 10 साल पहले जब सरकारी विभाग में कार्यरत वर्मा जी संसार छोड़ कर गए थे| माता जी … Read more

“देखो, तुम्हारी चिंता तो जायज़ है” – रेखा सक्सेना : Moral Stories in Hindi

आज सुषमा जी के चेहरे पर खुशी कम, चिंता ज़्यादा थी। बेटे राहुल के लिए लड़की देखने जा रही थीं, पर दिल में कोई डर बैठा था। सोचती रहीं—“आजकल तो शादी के बाद लड़के ही सुरक्षित नहीं रहते। कब क्या हो जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता।” तभी मोबाइल की घंटी बजी। स्क्रीन पर नाम … Read more

अस्तित्व – अविनाश स आठल्ये : Moral Stories in Hindi

एंड्रयू जॉनसन एक बहुत बड़े बिजनेसमेन थे, उनके न्यूयॉर्क में ही कई डिपार्टमेंटल स्टोर्स थे, हज़ारों कर्मचारी उनके अधीनस्थ काम करते थे, सैकड़ों मिलने जुलने वाले लोग, फोन कॉल्स और मीटिंग्स में उन्हें 24 घण्टे भी कम पड़ते थे,  इस वजह से एंड्रयू जॉनसन को कभी खुद के और अपने परिवार के लिए वक़्त नहीं … Read more

मेरा अस्तित्व जुड़ो कराटे वाली बहु – डॉ बीना कुण्डलिया : Moral Stories in Hindi

अरेऽऽ ओ सकुनी.. सकुनी, मां ने आवाज लगाई माँ रसोईघर में बर्तन साफ कर रही दुबारा आवाज लगाई अरेऽऽ ओ सकुनी मगर सकुनी को कोई मतलब नहीं वो तो लगी घर के पिछवाड़े में अपने कराटे की प्रैक्टिस करने में हू हा हू हा एक दो वो तो अपने धुन में इतनी मस्त की किसी … Read more

नेह पाती – उमा महाजन : Moral Stories in Hindi

          तुम मेरी बैस्ट हमसफ़र थीं…          प्रिय शुभांगी ! शुभाशीष ! आज सुबह से ही मेरा मन रह- रहकर मुझे समय की दहलीजों को लांघ कर अतीत की ओर ले जा रहा है। जैसा कि तुम जानती ही हो कि कल मेरी रिटायरमेंट थी। रिटायरमेंट का आयोजन खूब अच्छी तरह संपन्न हो गया था। तुमने अपने … Read more

मैं भी हूँ! – मधु पारिक : Moral Stories in Hindi

 एक छोटे शहर की रहने वाली साक्षी बचपन से ही सवालों से घिरी रही — “लड़की हो, ज़्या दा मत उड़ो”, “पढ़-लिखकर क्या करोगी?” और “शादी ही तो करनी है अंत में!” इन सब तानों के बिच उसके मासुम में लेकिन  कुछ और ही चल रहा था — एक आग, जो उसे बार-बार कहती थी: … Read more

यात्रा – पूनम सारस्वत : Moral Stories in Hindi

आज तीसरा दिन था यहां आए हुए । ऐसा लग रहा था जैसे कि मैं किसी स्वर्ग में आ गई हूं, हर तरफ प्राकृतिक नजारे,रंग बिरंगे मकान और होमस्टे,ऐसे लग रहा था जैसे पथरीले पहाड़ों पर ये बड़े बड़े फूल उग आए हों। इन्हीं में से एक खूबसूरत होमस्टे में मैं ठहरी थी, यहां अक्सर … Read more

बहू का भी अस्तित्व  होता है। – अर्चना खण्डेलवाल Moral Stories in Hindi

निधि जल्दी से सामान बांध लो हम कल शाम की गाड़ी से घर जा रहे हैं, मम्मी की तबीयत ठीक नहीं है, रितेश ने फोन पर कहा। लेकिन रितेश मेरी शाम को जरूरी मीटिंग है, जिसकी तैयारी मैं पिछले एक महीने से कर रही थी और उसमें मेरी प्रजेंटेशन भी है तो मै तो नहीं … Read more

error: Content is protected !!