काश –डा. मधु आंधीवाल

नाव्या तुम बहुत भाग्यशाली हो तुमको इतनी अच्छी ससुराल और पति मिलें हैं। नाव्या की सारी सहेलियां आज करीब 20 साल बाद आपस में बात करके एक जगह  दो दिन के लिये एकत्रित हुई थी । नाव्या बहुत समझ दार थी क्योंकि वह एक गरीब परिवार से थी । उसको बस ईश्वर ने सुन्दरता देने … Read more

मां, मैं कहीं नहीं गई थी,,, – सुषमा यादव

मैं अपनी बेटी के साथ कोटा में थी, वो वहां के प्रसिद्ध कोचिंग संस्थान में मेडिकल प्रवेश परीक्षा की कोचिंग कर रही थी,, ठंड का समय था,छत पर बैठ कर पढ़ाई कर रही थी,,, मैं नाश्ता बना कर ऊपर देने गई,, तो गायब,,, किताबें खुली पड़ी पन्ने फड़फड़ा रहे थे,,, मैंने सब जगह ढूंढा,,अगल,बगल‌  पूछा,, … Read more

एक कोना अपना सा – उमा वर्मा

रिनी का ब्याह बहुत बड़े घर में हुआ था ।माँ, बाबूजी  बहुत खुश हुए ।अब तो रिनी राज करेगी ।परिवारभी  छोटा सा था ।सास ससुर और दो ननद, पति दो भाई ।दोनों ननद और जेठ जी की शादी हो चुकी थी ।सब कुछ ठीक चलने लगा ।छोटी ननद जरा तेज स्वभाव की थी ।किसी से  … Read more

अपने जन्म दाताओं का ध्यान रखो। – संगीता अग्रवाल

” मां ये क्या आप परी की प्लेट से पकौड़े खा रही हैं हद है आपकी भी डॉक्टर ने तला हुआ मना किया भूल गई !” प्रदीप अपनी मां शांति जी पर चिल्लाया। ” पापा आप दादी पर क्यों चिल्ला रहे हैं उन्हें पकौड़े मैं ही देकर गई थी आपको पता नही है क्या दादी … Read more

मान-अपमान – तरन्नुम तन्हा

  मैंने शादी के बाद पूरी ज़िंदगी अपने पति और उनके परिवार के नाम लिख दी थी। घर क्या था, सर्कस था, जिनमें हम जानवर थे, और मेरे ससुरजी रिंगमास्टर। वह सभी को नचाते लेकिन कोई उनके खिलाफ न बोलता था। रसोई की जिम्मेदारी धीरे-धीरे सारी मेरी होती चली गई! सासुमाँ तो बस कभी कमर, … Read more

फूल – विनय कुमार मिश्रा

तेरह चौदह साल की वो बच्ची लोगों के घरों में,पूजा के लिए फूल दे जाती है। अपने बाप का हाथ बंटाती और स्कूल जाती है। मुझसे थोड़ा लगाव सा हो गया है “तू कल फूल क्यूँ नही दे गई? मैं दस बजे तक तेरा इंतजार करती रही” “बापू बीमार हैं ना,अस्पताल लेकर गई थी कल। … Read more

अपनापन – विनय कुमार मिश्रा

अपने किराने की दुकान पर मैं,उस शराबी के खरीदे सामान के दाम को, अपने कैलकुलेटर पर जोड़ ही रहा था कि उसने लड़खड़ाते जुबान से बोला “सात सौ सैंतीस रुपये” मुझे आश्चर्य हुआ। वो आधे होश में था और उसके लिए हुए छोटे मोटे सामान की संख्या लगभग पंद्रह थी। उसके लिस्ट के हर सामान … Read more

माँ ..सी – ज्योति व्यास

*********** लीना और रीना  शर्माजी की प्यारी सी  बेटियां हैं। दोनों  की उम्र में दो साल का अंतर है ।शर्माजी  बैंक में अफसर  हैं  वहीं बच्चियों की मम्मी एक प्रतिष्ठित विद्यालय में  विज्ञान की शिक्षिका हैं । अच्छे संस्कारों के साथ  दोनों पढ़ लिख कर कॉलेज में प्रोफेसर हो गई ।एक विज्ञान की और दूसरी … Read more

बुयाजी -सीमा नेहरू दुबे

वैसे तो अपनी माँ के पास जाना और समय बिताना हमेशा ही अपना एक सुखद अहसास होता है , पर इस बार कुछ खास था l हुआ यु कि हम माँ और बेटी अपनी बातो का लुफ्त ले रहे थे कि तभी घंटी बजी माँ उठ कर बहार देखने गयी और वही से बोली देखो … Read more

नानी हो तो ऐसी – सरला मेहता

बेटी के जन्म की खुशियाँ गम में तब्दील हो गई। पापा तो अपनी परी को बग़ैर देखे ही चल दिए। दुर्घटना ऐसी हुई कि अस्पताल आते समय रास्ते में ही प्राण पखेरू उड़ गए। आँसुओं का सैलाब लिए पति को अंतिम विदाई देने आद्या घर पहुँचती है। वह बेटी को देखना भी नहीं चाहती है।  … Read more

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