सच्चा गोल्ड-मैडल – तरन्नुम तन्हा

बहुत साधन सम्पन्न घर में विवाह हुआ था मेरा। परिवार के सभी सदस्यों का प्रेम और सहयोग मिलने के कारण मैंने खुद को बेहद भाग्यशाली माना। और ईश्वर की कृपा से वास्तव में मैं सदैव भाग्यशाली रही भी हूँ। माता-पिता के घर में खुशहाली थी, और ससुराल में भी मिली। शुरुआती मौजमस्ती, घूमने-फिरने और नये … Read more

खामोश सा अहसास –  नीलम सिंघल

आस्था घर के बाहर बगीचे की सीढ़ियों पर बैठी थी, काले बादलों की अठखेलियाँ देखकर उसके चेहरे पर मुस्कराहट आ गयी, कितना अच्छा लगता था उसको कभी काले बादलों का घुमड़ घुमड़ कर आना, जिंदगी की आपाधापी में वो इन काले बादलों को भूल गयी हवा की सनसनाहट को तो कबसे महसूस ही नहीं हुई … Read more

दोषी कौन – अनु मित्तल “इंदु”

“देखना आने वाले कुछ सालों में  यहाँ बस बूढ़े लोग ही  नज़र आयेंगे “ राजन की यह बात सुन कर पत्नी रश्मि चौंक उठी। सुबह के सात बजे थे। दोनों पति पत्नी अखबार पढ़ते पढ़ते चाय पी रहे थे। “ऐसा क्यों कह रहे हैं आप”? रश्मि ने कहा। “यह देखो हमारी  आज़ की generation किस … Read more

जीवनसाथी – सीमा नेहरू दुबे

सभी के माता पिता अपने अपने बच्चो का घर बसाने का सपना देखते है और उस दिशा मे चल कर किसी भी तरह पूरी कोशीश कर घर भी बसा देते है और फिर क्या! उनका गंगा स्नान जो की हर हिंदू शास्त्र कहता है कि बच्चो के विवाह बाद ही गंगा स्नान का पुण्य कमायो … Read more

कुंठा – नीलिमा सिंघल

सतीश अजीब सी दुविधा मे था, लेते हुए पंखे को देखे जा रहा था, सोनिया 4 बार आकर खाने का बोल आयी थी पर usne एक बार भी नहीं सुना था, पांचवी बार सोनिया आयी और खाने का कहकर बाहर जाने को मुड़ी पर सतीश की हालत देखकर रुक गयी, अपने आंसू छुपा कर सतीश … Read more

एक रुकी हुई ज़िंदगी – लतिका श्रीवास्तव 

उससे मिलने गई तो देखती ही रह गई उसे,क्या ये वही सुनीता है जिसे एन आईटी संस्थान में प्रवेश करवाने का गर्व हमारे एनजीओ अभी तक भुना रहे हैं….मुझे देख कर पहचान ही नही पा रही थी,निष्प्रभ निस्तेज चेहरा,डार्क सर्कल वाली निराश रिक्त सी आंखे जिनमें कभी आसमान की ऊंचाइयां नापने की बेशुमार ख्वाहिशें थीं,अशक्त … Read more

एक अनकहा रिश्ता.. “अनाथ” –  – विनोद सिन्हा “सुदामा”

अनगिनत रिश्तों की डोर को सुलझाते सुलझाते वैभव ना जाने कब इस अनजाने से रिश्ते की मोह में उलझ सा गया था उसे पता ही न चला.! एक ऐसा रिश्ता जिसका न कोई नाम था न कोई पहचान,न खून का रिश्ता न शरीर का रिश्ता,न दिल का रिश्ता न जान का रिश्ता..न दोस्ती न पहचान.. … Read more

झूठ – कमलेश राणा

कमलेश राणा स्वरचित मैं उन दिनों एक स्कूल में टीचर थी।उस स्कूल के प्रिंसिपल शर्मा जी बहुत ही सज्जन और मिलनसार प्रकृति के इन्सान थे।उस समय उन की उम्र लगभग 33वर्ष थी। कुछ समय बाद मैने वो स्कूल छोड़ दिया।बाद में पता चला कि 38वर्ष की कम उम्र में ही कैंसर के कारण उन्होँने दुनिया … Read more

पुण्य कमाई – दर्शना जैन

स्कूल में आयोजित चित्रकला प्रतियोगिता में गोपाल प्रथम आया। पुरस्कार लेने वह मंच पर गया, प्रिंसिपल ने उसे बधाई दी और पूछा कि बेटा, अपने प्रथम आने पर तुम कुछ कहना चाहते हो? गोपाल बोला – सर, यह पुरस्कार मुझे मेरी माँ की वजह से मिला है।      प्रिंसिपल ने जमुना को मंच पर आमंत्रित किया। … Read more

जीने का हक़ – अनु ‘इंदु ‘

सुनंदा की ननद साक्षी ने छः महीने पहले घुटने का ऑपरेशन करवाया था । साक्षी दी को  कई सालों से गठिया था पाँव की उंगलियां टेढ़ी हो रही थीं । अब तो चलना भी मुश्किल हो रहा था । इस लिये पहले एक घुटने का ऑपरेशन करवाया , वो अभी पूरी तरह ठीक भी नहीँ … Read more

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