Post View 200 पाखी और निकेतन को उनके ताऊजी का उनके घर आना बिल्कुल अच्छा नहीं लगता था। जब भी वह आते थे 10वीं में पढ़ने वाले निकेतन और अपने बेटे चेतन की तुलना अवश्य करते थे। पाखी बड़ी थी, वह 12वीं कक्षा में थी। वह समझ जाती थी लेकिन निकेतन निराश हो जाता था। … Continue reading निकेतन निकम्मा – गीता वाधवानी
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