मुक्ति (भाग-2) – कंचन सिंह चौहान : Moral stories in hindi

Post View 371 कितनी सुंदर थी वो गोल भरा सा मुँह बड़ी सी काली.काली आँखें, घुँघराले बाल, मैं मुग्घ हो गई थी अपनी ही कृति पर। मुझे जीवन में खुश रहने का सहारा मिल गया था। मैं उसी को सोचती, उसी को जीती। मुझे नही पता, मेरे पति भी खुश थे या नही लेकिन कभी-कभी … Continue reading मुक्ति (भाग-2) – कंचन सिंह चौहान : Moral stories in hindi