“कर्तव्य” – ऋतु अग्रवाल
“माँ, सुलेखा, देखो आज आप सबके लिए एक सरप्राइज है।” मयंक एक हाथ में मिठाई का डिब्बा और दूसरे हाथ में ब्रीफकेस लिए खड़ा था। पर वहाँ उसकी बात सुनने वाला कोई ना था। हाथ का सामान टेबल पर रख मयंक माँ के कमरे में गया। माँ आंखें बंद किए लेटी थी। “माँ! क्या हुआ? … Read more