पवित्र रिश्ता – पुष्पा जोशी

उस रिश्ते को मैं क्या नाम दूं, समझ नहीं पा रहा हूँ, उनसे मेरा कुछ तो रिश्ता है, उस रिश्ते को मैं नकार नहीं सकता.न उसका नाम मालुम है,न उम्र .सच माने तो मैंने उन्हेंकभी देखा भी नहीं है.कभी उसे देखने का विचार भी नहीं आया.उनके कंठ  से निकली स्वर लहरी सीधे मेरे दिल में … Read more

 इंसानियत का रिश्ता – विभा गुप्ता

मेरे पति का तबादला एक नये शहर में हुआ था।घर के कामों के लिए मैंने एक नौकरानी रखी थी जो समय पर आकर सारा काम कर जाती थी।मैंने नोटिस किया कि बाल-बच्चेदार होने के बावज़ूद भी उसे घर जाने की जल्दी नहीं होती है।एक दिन मैंने उससे पूछ लिया, ” रागिनी,तेरे बच्चे कितने हैं?, उनकी … Read more

मेरी सासु माँ का दोहरा व्यक्तित्व – अमिता कुचया

New Project 2024 04 29T104818.633

आज कल‌ जैसे की सोच होती है ,पढ़ी लिखी बहू आए और अगर नौकरी वाली  बहू आती है। तो ससुराल वाले को पुराने सोच बदलने की जरूरत होती है। क्योंकि सर्विस वाली बहू के रहन सहन और व्यवहार में अंतर होता है, घरेलू बहू की अपेक्षा… कहने को आधुनिक विचारों वाले सोच हम लोग है  … Read more

मैं इस बार मायके नहीं आऊंगी.!! – अर्चना खंडेलवाल  

New Project 60

निधि जल्दी से नीचे आओ, तुम्हारा फोन बज रहा है, निधि दौड़कर आती है, मां का फोन था, निधि को और भी काम थे, थोड़ी देर बाद बात करती हूं ये कहकर निधि अपने काम में लग गई,मनन का टिफिन बनाना था, उसके ऑफिस का समय हो रहा था, शिवम को भी स्कूल जाना था, … Read more

 ‘ स्वाभिमान है, अभिमान नहीं ‘ – विभा गुप्ता

New Project 47

” विपिन, एक जगह बैठ नहीं सकते,तो चले जाओ यहाँ से।तूने तो मेरे नये कुरते का सत्यानाश कर डाला।” नितिन बाबू अपने छोटे भाई पर चिल्लाये जो अपनी बैसाखी के सहारे चलकर पानी पीने आया था,हाथ से गिलास छूट गया और पानी के कुछ छींटें उनके नये कुरते पर पड़ गये।फिर उन्होंने विपिन की पत्नी … Read more

माँ की खांसी – नरेश वर्मा 

New Project 98

   रात्रि के बारह बज रहे थे।माँ कीं खांसी का दौरा था कि रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था ।खांसी के धँसके बहु-बेटे के बग़ल वाले कमरे तक दस्तक दे रहे थे ।  “ उफ़्फ़ ! माँ जी न ख़ुद सोतीं हैं और न किसी को सोने देती हैं ।”- बहु अलका भुनभुनाई।  “ … Read more

माँ – कल्पना मिश्रा 

New Project 59

लोग इकट्ठे हो रहे थे। चिरनिद्रा में लीन माँ की अंतिम यात्रा की तैयारी शुरू होने लगी। उनको नहलाया जा रहा था.. वैसे तो ये काम बहुयें करती हैं और देवरानी अपना फर्ज़ निभा भी रही थी लेकिन मैं तो बस पत्थर सी बनी माँ को देखे जा रही थी।तब मात्र साढ़े चौदह बरस की … Read more

माँ मैं बहुत बुरी हूँ ना…. – रश्मि प्रकाश

New Project 94

आज माँ को इस हालत में देख कर सुमिता के आँसू रूकने का नाम नहीं ले रहे थे…. वो माँ जो हर वक़्त काम करती नज़र आती थी आज बिस्तर पर पड़ी थी…. एक तो उम्र का असर और काम करते रहने की वजह से शरीर भी लाचार सा हो गया था…. माँ दमयंती जी … Read more

औरत अधिकार मांगती तो उसे विरोध का नाम क्यों दिया जाता..? – निधि शर्मा 

New Project 48

“मुझे ना सुनना पसंद नहीं है ये बात तुम अच्छी तरह से जानती हो फिर भी हर बार मेरी बात तुम काट देती हो। अरे क्या जरूरत है हर 6 महीने में मायके जाने की तुम्हारे बिना क्या वहां खाना नहीं बनेगा..? अपनी मां से मिलने के चक्कर में तुम मेरी मां को तकलीफ दे … Read more

बेटी के घर में माँओं का दख़ल – कल्पना मिश्रा

New Project 36

“आज क्या-क्या खाया? किसने बनाया?”  “अच्छा, तो तेरी सास क्या कर रही थीं? वो आराम फ़रमाती रहती हैं क्या? “ “क्या? तेरे सास,ससुर भी तेरे साथ पिक्चर /बाज़ार जाते हैं? मतलब? हर जगह पीछे-पीछे लगे रहते हैं, तुझे प्राइवेसी नही देतें?” “नौकरानी नही है तू, क्यों जुटी रहती है?अबकी बार कह देना मुझे ज़्यादा काम … Read more

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