मेरी भी तो शादी करा दे….(हास्य)  – विनोद प्रसाद

Post View 1,512 शादी-ब्याह का सीजन शुरू होते ही मेेेरे सपनों को भी पंंख लग जाते हैं और मैं परियों की कल्पना में खो जाता हूँ। बैंड-बाजा का शोर पिघले शीशे की तरह मेरे कानों में उतरता है। ऐसा लगता है कि मैं बरसों से भूखा हूँ और मेरी आंखों के सामने कोई हलवा-पूरी खा … Continue reading मेरी भी तो शादी करा दे….(हास्य)  – विनोद प्रसाद