कुछ परायें अपने कुछ अपनें परायें हो जातें हैं – गुरविंदर टूटेजा 

Post View 234    नीता जल्दी चलों…तैयार नहीं हुई क्या…?? तैयार हूँ राजीव…चलो ये सारा सामान भी कार में रख लों…कहतें हुयें नीता की आँखों में आँसू आ गये…पापाजी तो पहले ही चले गये थे…अब मम्मी जी के जाने से तो घर सूना ही हो गया है…मुझे कभी माँ की कमी महसूस नहीं होने दी…हम उनके … Continue reading  कुछ परायें अपने कुछ अपनें परायें हो जातें हैं – गुरविंदर टूटेजा