खुद का संडे – श्वेता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

Post View 10,864 नीलांश कई दिनों से देख रहा था कि निली काफी उदास और गुमसुम सी होती जा रही है।बस मशीन की तरह अपना काम निपटाती रहती है।ना हँसना न खिलखिलाना। माँ-पापा की चाय, बिट्टू-पिंकी की पढ़ाई, लंच-डिनर, उसका टिफिन, घर की साफ-सफाई सब काम बिल्कुल परफेक्ट, समय पर लेकिन खुद बिल्कुल बुझी-बुझी सी। … Continue reading खुद का संडे – श्वेता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi