Post View 198 नन्हीं सी परी उतरी है , आज मां के द्वार, सब कर रहे थे , उसका इन्तजार पापा की नन्ही गुड़िया , मां की थी परछाई, भाई का दुलार थी , दादी का अभिमान, परी होती गयी बड़ी, सुकोमल काया रूप का खजाना , मां पापा का सपना अपनी गुड़िया को बनाना … Continue reading करुण अन्त – डा. मधु आंधीवाल
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