जो जस करहिं तस फल चाखा – प्रीति आनंद

Post View 517 *********************** “श्रद्धा! कहाँ व्यस्त हो? कब से बोला हुआ है आँगन की धुलाई कर दो, मुझे पूजा करनी है?” “जी माँजी, प्रतीक का टिफ़िन पैक कर रही थी, उन्हें आज जल्दी निकलना है।” “तो जल्दी उठना था न? मेरे काम में ही तेरी सारी कामचोरी निकलती है!” प्रतीक दरवाज़े पर खड़ा टिफ़िन … Continue reading जो जस करहिं तस फल चाखा – प्रीति आनंद