जीवन का सवेरा (भाग -6) – आरती झा आद्या : Moral stories in hindi
Post View 1,449 “मोहतरमा तभी इतनी इठलाती किचन के अन्दर गई थी”, रोहित कैफ़े के बाहर जाकर बोर्ड देखकर अंदर आता है और जोर से हँसते हुआ बोलता है, “आरुणि कैफे बड़े बड़े अक्षरों में लिखा है। मैंने कभी देखा ही नहीं, मेरे जैसे लोग आँख होते हुए भी अंधे होते हैं।” “और दिमाग होते … Continue reading जीवन का सवेरा (भाग -6) – आरती झा आद्या : Moral stories in hindi
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