झूठी शान में कैसा मान ? – तृप्ति देव : Moral Stories in Hindi
Post View 190 जितनी बड़ी चादर हो, उतने ही पैर फैलाना बुद्धिमानी है।बहु ! हा मां! लेकिन लड़केवाले तो अमीर हैं। तो क्या हुआ? बहु! जो सच है, जो सहज-सरल और वही वास्तविक है, वही बयान करना चाहिएं। कल पूरा परिवार अपने यहां आने वाले है। मां! ठीक है । हा !है जैसे वैसे रहेगें। … Continue reading झूठी शान में कैसा मान ? – तृप्ति देव : Moral Stories in Hindi
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