Post View 318 हे मानुष! रुक, थोड़ा ठहर और सोच कहां भाग रहा है तू? क्यों भाग रहा है तू? जिंदगी की आपाधापी में क्या-क्या खो चुका है तू? और क्या कुछ पाया है तूने? रुक, थोड़ा ठहर और सोच मोबाइल हाथ में लेकर पूरी दुनिया से जुड़ने का दावा करता है तू पर अपनों … Continue reading हे मानुष! – गीता वाधवानी
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