प्यारे अमित – गरिमा जैन 

  बहुत दिन हुए तुमसे कोई बातचीत नहीं हुई ।पहले तुम्हें जब मन फोन कर लिया करती थी पर अब वो अपनापन नहीं लगता कि जब चाहू तुमसे बात कर लूं इसलिए तुम्हें आज एक पत्र लिखने बैठ गयी। ऐसे तो यह बीते जमाने की बात हो गई पर कहते हैं ना कभी  कभी पुरानी बातें … Read more

बावड़ी की चुड़ैल – गरिमा जैन

New Project 86

सुधीर गाड़ी स्टार्ट नहीं होगी भीग भीग कर तबीयत खराब हो जाएगी ।इतनी रात में कोई मैकेनिक भी नहीं मिलेगा। सुधीर : लता तुम ही बताओ क्या कर सकते हैं? एक तो ऐसा इलाका ,ऊपर से शिमला की ठंड । लता : इलाका ओ कम ऑन सुधीर! तुम भी क्या उन बेकार की कहानियों पर … Read more

दिल से दिल का रिश्ता – गरिमा जैन

मैंने झटपट खाना खाया और  बचा हुआ  खाना फ्रिज में रखा और तुरंत ऑफिस के लिए निकल पड़ी। किचन के दरवाजे पर ही दादी से मुलाकात हो गई ।उन्हें जल्दी से गुड मॉर्निंग विश की और उनके गले से जोर से लिपट गई ।दादी ने कहा बेटा तू बासी खाना खाकर जा रही है और … Read more

हिसाब – गरिमा जैन

New Project 41

बात उन दिनों की है जब मैं अपनी बहन पिंकी की नंद की शादी में गई थी। सबके लिए महीनों से तोहफे ले रखे थे मैंने अपनी बहन के लिए बहुत सुंदर सा मोतियों का हार लिया था और उससे मेल खाती एक सुंदर सी साड़ी। उसकी सास उसकी नंद के लिए भी बहुत सुंदर … Read more

भूल – गरिमा जैन

New Project 40

मेरी एक छोटी सी भूल ने कैसे मेरी जिंदगी तबाह बर्बाद कर दी। काश  मैंने वह भूल  ना की होती। काश वो दिन फिर से लौट आता और मेरे हाथ से वह गलती ना हुई होती। बात आज से 5 साल पहले की है। 31 मार्च 2016 ।मैं एक संयुक्त परिवार में रहती थी। मेरी … Read more

ख्वाब – गरिमा

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रचना बहुत खुश थी  उसे अपने सपनों का राजकुमार मिल गया था। जैसा उसने चाहा उस से बढ़कर ही जीवन साथी उसे मिला था ।अच्छा कमाता था ,देखने में खूबसूरत ,अपना घर गाड़ी वह सब चीज जो रचना हमेशा से ख्वाहिश करती थी। रचना के पिता पोस्ट ऑफिस में कर्मचारी थे उनकी तनख्वाह यही कोई … Read more

यादें – गरिमा जैन

New Project 78

पापा मम्मी के पास आना मेरे लिए हमेशा से ही एक खुशनुमा पल रहा है। गर्मियों की छुट्टियों में जब भी दिल्ली की चिलचिलाती धूप से मैं परेशान होता तो भाग कर शिमला आ जाता। शिमला में हमारा पुश्तैनी मकान ,दूर-दूर तक सुंदर नजारे, सच बचपन की कितनी ही यादें वापस ताजा हो जाती हैं … Read more

सांझ – गरिमा जैन

अकेलापन,  शायद यही एक ऐसा एहसास था जो मुझे एक  डरावने सपने जैसा लगता और कहते हैं ना कि किस्मत आपके डर को आपके सामने खड़ा कर देती है वही मेरे साथ हुआ। जीवन के साठ मील चलने के बाद यह अकेलापन मुझ पर जोरों से हंसने लगा । मैं इसके आने से पहले ही … Read more

बचत – गरिमा जैन

New Project 72

हमारे रिश्ते को जैसे किसी की नजर लग गई थी एक जमाने में लोग हमें सास बहू नहीं बल्कि दोस्त कहा करते थे हाथ में हाथ डाले हम बाजार में ऐसे घूमते जैसे कितनी पक्की सहेलियां है ना मेरी बहू कभी मेरी बात काटती और मैं भी हमेशा छोटी-छोटी बातें  दिल में नही रखा करती … Read more

भाभी – गरिमा जैन

New Project 63

एक दिन जब मैं एक दुकान पर कुछ सामान खरीदने गई तो अचानक भाभी का संबोधन सुनकर मैं चौक पर दुकान वाले को देखने लगी। वह मुझसे कह रहा था “अरे भाभी जी पसंद न आए तो वापस ले जाइएगा “ मैं जैसे बहुत ही असहज हो गई ।भाभी, यह शब्द जो मुझे सुनने में … Read more

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