एन, जी,ओ, –  माता प्रसाद दुबे

New Project 43

रात के बारह बज रहे थे। गीता कमरे में गुमसुम उदास बैठी बार-बार खिड़की से बाहर की ओर देख रही थी। उसका पति रवि अभी तक घर वापस नहीं आया था। उसे अपनी जिंदगी में सिर्फ घनघोर अंधेरा ही दिखाई दे रहा था।दो साल पहले ही उसकी और रवि की शादी हुई थी। एक साल … Read more

जंजीर  – पुष्पा कुमारी “पुष्प”

New Project 69

“कब तक अपने पिता के घर में बैठी रहोगी सौम्या?. अपनी पसंद से ही सही विवाह कर तुम भी अपनी जिंदगी में आगे बढ़ने की कोशिश क्यों नहीं करती!”. आज सौम्या से मिलने आई उसकी बचपन की सहेली और अब दो प्यारे-प्यारे बच्चों की मांँ बन चुकी राधिका ने बातों ही बातों में सौम्या को … Read more

रिश्ते हमेशा बराबर वालों से बनाने चाहिए.. – संगीता त्रिपाठी

best family story

रत्ना  और किशोर जी ने सीमित आय में भी अपने दोनों बेटों अमित और सुमित की पढ़ाई में कोई व्यवधान नहीं आने दिया। खुद की जरूरतों को अनदेखा कर बच्चों की परवरिश अच्छी तरह की। जब अमित पढ़ाई खत्म कर जॉब में आया तो रिश्तों की बाढ़ सी आ गई। आये भी क्यों ना, अमित … Read more

स्वाभिमान से बढ़कर कुछ नहीं – सरोज प्रजापति

New Project 96

“भाभी आप खाना तैयार रखो, हम अभी बड़े भैया के घर से होकर आते हैं।” “दीदी खाना तैयार है। खा कर आराम से चले जाना। मैं जब तक सारा काम निपटा लूंगी।” “क्या भाभी, आपको तो बस अपने काम की पड़ी रहती है। अरे दो-चार दिन देर से काम कर लोगी और नहीं सोओगी तो … Read more

“पत्नी के स्वाभिमान से समझौता?कभी नहीं!” – कुमुद मोहन 

New Project 48

पापा! चुप रहिये! जब देखो आप रीमा को किसी ना किसी बात पर टोकते रहते हैं, वह बेचारी आगे से आगे दिन भर आप लोगों की खिदमत में लगी रहती है फिर भी आप लोगों को उसे सुनाऐ बिना चैन ही नहीं आता! विनय सुबह सुबह गुस्से से अपने पचहत्तर साल के पिता रमेश जी … Read more

स्वाभिमान जाग उठा – संगीता त्रिपाठी 

New Project 94

छनाक…. आवाज सुन कर रमा जी भागी -भागी बाहर के कमरे में आई, जहाँ शीशे का गिलास कई भाग में टूटा पड़ा था। निगाहें कोने में गई, जहाँ पाखी आँखों में आँसू भरे थर -थर काँपती खड़ी थी। रमा जी समझ गई, आज फिर प्रसून और पाखी में झगड़ा हुआ।   “हड़बड़ी में कोई काम ठीक … Read more

दर्द का बंटवारा – Emotional Story

New Project 49

शाम हो गई थी |बूढ़ी सरला काकी ने अपनी चाय की दुकान समेट ली |जाड़े का समय था |अब किसी ग्राहक के आने की उम्मीद न थी |वह चूल्हे के आग पर रात के लिए रोटियां सेंक रही थी |रात के साथ- साथ वह सुबह के लिए भी रोटी बना लेती थी| शाम को चूल्हे … Read more

हर बेटा शादी के बाद नहीं बदलता – मीनाक्षी सिंह

New Project 100

सुमित एक एमएनसी में बी .टेक करके एक बड़े ओहदे पर कार्यरत था  ! छह बहनों में एकलौता  भाई और सबसे छोटा था सुमित ! सभी उसी से उम्मीद लगाते थे कि अब ये ज़िम्मेदारियां संभालेगा ! और उम्मीद गलत भी नहीं थी ,सुमित था भी ऐसा ! स्वभाव से बहुत ही सरल ,मृदुभाषी और … Read more

बेटी – गीता चौबे “गूँज”

New Project 97

फोन का रिसीवर रखने के बाद रजनी के मन में अपनी बिटिया रंजीता के आखिरी शब्द बहुत देर तक गूँजते रहे…  ‘बेटी को बेटी ही रहने दो, उसे बेटा मत बनाओ…’   रजनी अवाक रह गयी और गहराई से सोचने लगी कि उससे चूक कहाँ हुई। इतना आक्रोश कैसे भर गया उसकी बेटी के मन में। … Read more

संस्कार तो बेटे को भी देने पड़ते हैं। – अर्चना खंडेलवाल

New Project 38

“मुझे उम्मीद नहीं थी सात साल बाद ऐसा कुछ होगा!!! अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था सामने प्राची को देखकर लग रहा था कि दुनिया बहुत ही छोटी है सोना कभी प्राची से फिर से मिलेगी ऐसा सोना ने सपने में भी नहीं सोचा था। जो रिश्ते संज्ञाहीन और भावशून्य हो जाये उन … Read more

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