सर्वगुण संपन्न – शुभ्रा बैनर्जी 

शरीर पर लगे चोट के निशान दिख भी जातें हैं और मरहम-पट्टी करने पर ठीक भी हो सकते हैं,पर जब मन घायल होता है, तब उसके ना तो निशान दिखाई देतें हैं और ना ही कोई मरहम लग पाता है। दर्द की टीस मौन रोती रहती है,आजन्म रिसती रहती है। सर्वगुण संपन्न थी सुदेशना।दिखने में … Read more

“रिश्तों की तुरपाई” – शुभ्रा बैनर्जी

New Project 69

मालिनी की बेटी  बचपन मेंअक्सर सिलाई मशीन देखकर उससे पूछती” मां,दादी को इतनी अच्छी सिलाई आती है,पर तुमसे क्यों नहीं बनता कुछ?दादी ने कभी सिखाया नहीं तुमको?”मालिनी हंसकर ज़वाब देती”मैंने पहले ही बता दिया था तेरी दादी को,कि मुझे सिलाई करने का बिल्कुल भी शौक नहीं।” बोलने को तो उसने बोल दिया था पर उसे … Read more

अपेक्षा नहीं तो कैसी उपेक्षा – शुभ्रा बैनर्जी

New Project 59

जीवन के बारे में बड़े-बूढ़ों का तजुर्बा कभी ग़लत नहीं होता। उम्र के आखिरी पड़ाव में चेहरे पर झुर्रियां,भूत वर्तमान और भविष्य की लहरों की तरह समय के परिवर्तन शील होने का प्रमाण देतीं हैं।आंखों की रोशनी कम तो हो जाती है,पर अनुभव का उजाला टिमटिमाते रहता है,बूढ़ी आंखों में।”बचपन”परीकथा की तरह सुखद होता है। … Read more

मां की इज्जत – शुभ्रा बैनर्जी

New Project 45

निर्मला आज पूरे कॉलोनी में लड्डू लेकर अपने कैंटीन के उद्घाटन का न्योता दे रही थी।समय के साथ जैसे हर दिन एक नई निर्मला अवतरित होती जा रही थी।वही जोश,वही उमंग,वही हंसी।बहुत कुछ बदला था उसकी ज़िंदगी में,पर नहीं बदली तो उसकी हिम्मत।पिछले बीस सालों से जानती थी मैं उसे। हमारी सोसायटी के बाहर एक … Read more

“कैसी इज्जत” – डॉ अनुपमा श्रीवास्तवा

New Project 46

“नालायक कहीं का!” मेरी इज्जत का जरा भी परवाह नहीं है इस लड़के को! इंजीनियरिंग की डिग्री क्या मिल गई अपने आप को ज्यादा काबिल समझने लगा है। बाप का सिर झुकाने पर लगा है।मेरा सारा इज्जत प्रतिष्ठा मिट्टी में मिला देगा यह लड़का! “ पिताजी का पारा सातवें आसमान पर चढ़ गया था। वह … Read more

एक गलत फैसला – गीता वाधवानी

New Project 2024 04 29T105042.754

आज मैं आपको एक कहानी सुनाती हूं। शायद यह कहानी सुनकर कोई और लड़की मेरी गलती से सबक ले सकें। जी क्या कहा आपने, मैं कौन हूं? आप मुझे नहीं जानते।  हां सही कहा आपने, कैसे जानेंगे मुझे। मैं कोई मशहूर हस्ती या सेलिब्रिटी तो हूं नहीं। मैं हूं एक आम लड़की, नाम टीशा।  एक … Read more

बहू भी औलाद है – शुभ्रा बैनर्जी 

New Project 84

बचपन में एक कहावत सुनी थी कि एक आंगन से उखाड़ कर दूसरे आंगन में लगाया गया पेड़ कभी जीवित नहीं बचता।मेरा मन कभी नहीं स्वीकारा इस सत्य को।कितने ही पेड़ पड़ोस के घर से मांगकर लाती रही और लगाती रही थी मैं। सकारात्मक सोच की धूप और प्रेम के पानी से सभी आज जिंदा … Read more

दिल की दुआ – लतिका श्रीवास्तव 

वो कुछ नहीं करता है… वो कौन..!मेरा बेटा सूरज …! हां वो कुछ ऐसा नहीं करता जो आज कल की दुनिया में कुछ करने लायक की परिभाषा में फिट हो सके..मसलन मेरे   भाई का लड़का पूरी यूनिवर्सिटी में टॉप किया है और अभी विदेश में जॉब ऑफर मिला है….करोड़ों का ऑफर है….अब वो वहीं … Read more

संस्कारी बेटा – मीनाक्षी सिंह 

शर्मा जी ,आपके बेटे ने पिछली साल भी तो एसएससी का पेपर दिया था ,इस साल भी दे रहा हैँ ! पास नहीं हुआ था क्या ?? पड़ोसी पांडेय जी चुटकी लेते हुए शर्मा जी से बोले ! हाँ जी ,फिर से दे रहा हैँ ,दो नंबर से रह गया था ! शायद उतनी मेहनत … Read more

एक रिश्ता शुक्र तारे सा – लतिका श्रीवास्तव

नमस्ते चाचीजी  जी नमस्ते चाचा जी …. वही आदर भरा  मधुर सम्मोहित संबोधन सुन कर वसुधा जी ने भी पलट कर नमस्ते नमस्ते बेटा ..कैसी हो सब बढ़िया है ना..!!कहा तो बदले में उत्साह से भरा..” जी चाचीजी आपका आशीर्वाद है ……प्रत्युत्तर मानो दिल से ही निकला…मुस्कुराहटो का आदान प्रदान हुआ और वो आगे बढ़ … Read more

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