पुत्र ऋण – आरती झा आद्या

New Project 2024 04 29T215107.227

फिर से उस घर में शहनाइयां गूंज रही थी और पांच साल का सन्नी उस गहमागहमी को टुकुर टुकुर देख रहा था। उसे तो बस इतना ही पता था कि उसकी मां जो उसे एक साल पहले छोड़कर भगवान के पास चली गई थी, वो दूसरा रूप लेकर फिर से उसके पास आ रही है … Read more

चुपचाप जिम्मेदारी निभाता हुआ पुरुष  – शुभ्रा बैनर्जी

New Project 58

चुपचाप जिम्मेदारी निभाता हुआ पुरुष अपने भाई के श्राद्ध में जैसे ही दोनों विवाहित बहनों ने सुधा के हांथों कुछ रुपए रखे,सुधा को लगा मानो उसके पति के मुंह पर थप्पड़ मार दिया है उन्होंने।बच्चों ने भी पहले ही बोल कर रखा था कि किसी से पैसों की मदद नहीं लेना मां।सुधा आस पास के … Read more

अब टिकेट कैंसिल नहीं कराऊंगा – मीनाक्षी सिंह

New Project 56

बिन्दू मैने टिकेट करा ली हैँ ,अब कोई भी काम आ जायें ,मैं जाकर रहूँगा ,अबकी बार कैंसिल नहीं कराऊंगा ! 65 वर्षीय राकेशजी पूरे जोश में बोले ! तुम सुन रही हो कि नहीं बिन्दू ,छोड़ों ये कपड़े तह करना ! हाँ हाँ ,सुन रही हूँ ! बहरी नहीं हूँ ! कहाँ की टिकेट … Read more

मैं हूँ ना –  विभा गुप्ता

New Project 58

 ” भईया, रुनझुन की शादी कैसे होगी?लड़के वालों की डिमांड तो कुछ भी नहीं है, फिर भी खाली हाथ बेटी को कैसे विदा कर दूॅं।जेठ जी ने तो पल्ला झाड़ लिया है।रुनझुन के पापा रहते तो मुझे कोई चिंता ही नहीं रहती लेकिन….।” कहते हुए देवकी रोने लगी तो नारायण बाबू बहन के कंधों पर … Read more

कोरा कागज़ – अमित किशोर

New Project 2024 04 29T215107.227

इंदु ने जब पहली बार अहान को अपनी गोद में लिया तो ऐसा लगा जैसे प्रसव की सारी पीड़ा एक पल में ही छू मंतर हो गई हो। पहली संतान के रूप में बेटी पाने की हसरत तो थी पर बेटे के प्रथम स्पर्श ने इंदु को मातृत्व की वो मिश्री दे दी जिसके मिठास … Read more

बहू का प्रमाण पत्र – शुभ्रा बैनर्जी

New Project 11

सौम्या की बेटी की शादी की बातचीत चल रही थी।बेटी पढ़ी-लिखी और समझदार थी ।मां से उसका भावनात्मक लगाव कुछ ज्यादा ही था।बचपन से उसने सौम्या को संघर्ष करते ही देखा था।बड़ी होने पर अक्सर बोलती “मैं शादी नहीं करूंगी कभी।तुम्हारे जैसी अच्छी बहू ना मैं बनना चाहती हूं और ना ही बन पाऊंगी।सारा जीवन … Read more

बच्चों ने दी संस्कारों की सीख – शुभ्रा बैनर्जी

New Project 57

आज संगीता जी के यहां किटी पार्टी का आयोजन था।वह ख़ुद बहुत अच्छा खाना पका लेतीं थीं। मेहमानों को खुश करने के चक्कर में,आज उन्हें अपने हांथ के खाने के स्वाद में त्रुटि दिखने लगी।सामने मेज पर विभिन्न पकवान सलीके से सजाकर रखे हुए थे। स्टार्टर,मेन कोर्स और डेज़र्ट्स पंक्ति बद्ध रखें गए थे,जो मेजबान … Read more

बहू मेरा अक्स – ऋतु अग्रवाल

New Project 48

“सुनो! आज मैं बच्चों के पास ही सोऊँगी। राध्या को बहुत तेज बुखार है। सारा बदन तप रहा है उसका। रात को कुछ परेशानी हुई तो किससे कहेगी वह? रोमिल तो अभी बहुत छोटा है।” सुगंधा ने अश्विन की चिरौरी करते हुए कहा।           “मुझे कुछ नहीं पता। दवाई दे दी है न उसे। रात में … Read more

बहु हो तो ऐसी ” – कविता भड़ाना

New Project 72

“दुल्हन आ गई, दुल्हन आ गई” का शौर करते हुए बच्चे घर के अंदर भागते हुए आए, तो सुमित्रा जी ने जल्दी से पूजा की थाली तैयार करी और द्वार पर बहु का स्वागत करने आ गई, रीति रिवाजों से सारी रस्में निभाई गई और  इस तरह सुमित्रा जी भी आज बहु वाली हो गई … Read more

मां का अंधविश्वास या भेदभाव – शुभ्रा बैनर्जी 

New Project 42

भेदभाव एक सर्वव्यापी सामाजिक बुराई है,जिसका सूत्रपात परिवार से होता है और सूत्रधार होतीं हैं औरतें।पुरुष का योगदान नगण्य है।रजनी के परिवार में इसका प्रत्यक्ष प्रमाण मिला,ननद के प्रथम प्रसव के समय।रजनी ने चार महीने पहले ही एक स्वस्थ बेटे को जन्म दिया था सामान्य प्रसव द्वारा।अब नव ब्याहता ननद आई थी प्रसव के लिए।रजनी … Read more

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