इक दूजे की रजामंदी – मुकुन्द लाल

Post View 1,273   ” हे ईश्वर यह क्या हो गया?… अब मेरी बेटी चित्रा का क्या होगा?” घर में प्रवेश करते ही सुनील ने कहा। “  ” इतना घबराये हुए क्यों हैं? … क्या हो गया?… “  ” किस्मत फूट गई… “  ” कुछ साफ-साफ बोलिए… “  ” होने वाले दामाद का बांया हाथ कट … Continue reading  इक दूजे की रजामंदी – मुकुन्द लाल