एक बरसात- पश्चाताप वाली – तृप्ति शर्मा

Post View 351 काली घटा देखकर रूचि तेज रफ्तार से सीढ़ियां चढ़कर छत तक पहुंची बहुत से कपड़े धो डाले थे उसने आज। सावन का महीना था ना ,तो बादल और रिमझिम को तो मजा आता ही है लुका छुप्पी खेलने में, अक्सर रुचि को बहुत लुभाती थी यह लुका छुप्पी । क्यों ना भाए … Continue reading एक बरसात- पश्चाताप वाली – तृप्ति शर्मा