ढलती साँझ (भाग – 2 ) – डॉ .अनुपमा श्रीवास्तवा

Post View 63,083 उन्हें क्या पता था कि दोनों की जिंदगी  रेल की पटरी बन जायेगी और अकेले -अकेले मंजिल तक अपना सफर तय  करेगी । अक्सर छोटा भाई  माँ  को लेकर आता था और एक दिन  बाद  बाबूजी  को लेकर चला जाता था अगले तीन महीने के लिए। उसके बाद तीन महीने तक फोन … Continue reading ढलती साँझ (भाग – 2 ) – डॉ .अनुपमा श्रीवास्तवा