दगड़ाबाई चा गुत्ता! – कुसुम अशोक सुराणा : Moral Stories in Hindi
Post View 516 अमावस की रात में झींगुरों की झीं-झीं के बिच, सूखे पत्तों को रौंद कर एक आवाज़ रात की ख़ामोशी को चीरती हुई दगडाबाई के कानों में गर्म शीशे सी पहुँची और कुछ ही पलों बाद उसे ऐसे लगा मानों कोई उसका पल्लू खींच रहा हैं! ऊँची-ऊँची घास के बिच एक्का-दुक्का ढाबों के … Continue reading दगड़ाबाई चा गुत्ता! – कुसुम अशोक सुराणा : Moral Stories in Hindi
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