छाया – मुकुन्द लाल : Moral stories in hindi

Post View 9,146    जाड़े की रात थी। चारों ओर अंधेरे का साम्राज्य था। चतुर्दिक नीरवता व्याप्त थी। कड़ाके की ठंड पड़ रही थी। बर्फ की तरह ठंडी हवा बह रही थी।    रात के दो बजे के आस-पास मेरी नींद टूट गई। कुछ देर तक मैं आंँखें बन्द करके लेटा रहा किन्तु नींद नहीं आई। तरह-तरह … Continue reading छाया – मुकुन्द लाल : Moral stories in hindi