“चांद के पार चलो” करवाचौथ (स्पेशल कहानी) – रीमा महेंद्र ठाकुर
Post View 888 दीपक की लौ”अचानक तेज हो गयी “ काव्या की आंखे भर आयी ” वो सोघने लगी क्या इसबार मेरा चांद मुझे फिर नहीं नजर आऐगा ” पिछली बार की तरह “ चार बरस हो गये, काव्या की आंखों से झर झर आंसू गिरने लगे “ वो उठकर खडी हो गयी! मंदिर से … Continue reading “चांद के पार चलो” करवाचौथ (स्पेशल कहानी) – रीमा महेंद्र ठाकुर
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