आओ पार चलें – देवेंद्र कुमार Moral Stories in Hindi

तेज बरसात हो रही थी। भीखू मल्लाह अपनी नौका पर छाजन के नीचे सिमटकर बैठा था। छाजन चारों ओर से खुला था। बूँदों की बौछार भीखू को भिगो रही थी। लेकिन वह क्या करता और कोई उपाय भी तो नहीं था। भीखू का घर नदी के पार था। सोच रहा था, “आज का दिन तो … Read more

गुरु दक्षिणा – देवेंद्र कुमार Moral Stories in Hindi

ज्ञानदास विद्वान था, लेकिन स्वभाव का गुस्सैल। किसी से नहीं पटती थी। अपने स्वभाव के कारण कई जगह से नौकरी छोड़ चुका था। अपने पर बहुत काबू करने का प्रयास करता, लेकिन फिर भी क्रोध हावी हो ही जाता। घर में पत्नी से लड़ता रहता। नियमित नौकरी न होने से घर में तंगी रहती थी। … Read more

पानी नहीं चाहिए – देवेंद्र कुमार Moral Stories in Hindi

गाँव में मीठे पानी के अनेक कुएँ हैं पर गाँव से कुछ दूर एक पुराना कुआँ है सूखा हुआ। लोग सदा से कुएँ को वैसा ही देखते आ रहे हैं। कुएं के पास ही एक घना पेड़ है। उस रास्ते से गुजरने वाले पथिक पेड़ की घनी छांह की सराहना करते हुए यह कहना नहीं … Read more

अकेला ही काफी हूं – नेकराम Moral Stories in Hindi

हमारी श्रीमती रोज की तरह फिर मुझसे आज बोली,, हमारे बगल वाली पड़ोसन आज फिर रो रही थी दो सप्ताह से उसकी बेटी सितारा घर नहीं लौटी किसी लड़के ने प्यार के जाल में फंसा कर उसे नकली शादी कर ली और न जाने उसे कहां ले गया सितारा का फोन भी स्विच ऑफ जा … Read more

नेकराम की नई गुल्लक – नेकराम Moral Stories in Hindi

मेरा मुरझाया हुआ चेहरा देखकर हमारी श्रीमती बोली तुम मुंह लटकाए क्यों बैठे हो क्या हुआ,, छत से जरा से कपड़े लाने में थक गए हो क्या ,, मैंने मोबाइल दिखाते हुए कहा,, मोबाइल पानी के टब में गिरकर गीला हो गया शाम को ड्यूटी भी जाना है मोबाइल की जरूरत पड़ती है सातवीं कक्षा … Read more

रामपाल की जमीन – नेकराम Moral Stories in Hindi

उन दिनों में एक सेंटमार्क पब्लिक स्कूल का सिक्योरिटी गार्ड था स्कूल में पहली कक्षा से 12वीं कक्षा तक के विद्यार्थी पढ़ते थे उस स्कूल का मालिक अमीरचंद बहुत अमीर था ,,,,, स्कूल के गेट पर डंडा लिए मैं कुर्सी पर हमेशा बैठा रहता था वेतन भी ठीक-ठाक मिल जाता था नाइट वाले गार्ड की … Read more

पत्नी का मायका – नेकराम Moral Stories in Hindi

मैंने दीवार की कील पर लटकी घड़ी की तरफ देखते हुए कहा शाम के 7:00 बज चुके हैं जल्दी खाने का टिफिन थैले में रखो श्रीमती जी रसोई में खड़ी खाना बांधते हुए बोली कई महीने हो गए मायके की शक्ल तक नहीं देखी मां का फोन स्विच ऑफ जा रहा है मैंने खाने का … Read more

ऐसा भी हो सकता है- नेकराम Moral Stories in Hindi

शहर में एक फ्लाई ओवर से 10 मीटर की दूरी पर वह बूढ़ा सा दिखने वाला व्यक्ति केसरी लाल कई वर्षों से बस स्टॉप के किनारे एक छोटी सी चाय की दुकान चलाकर अपने परिवार का पेट भरा करता है पास में ही एक कच्ची बस्ती है वहां पर उनकी एक छोटी सी झोपड़ी है … Read more

रस्सी खोलो- नेकराम Moral Stories in Hindi

बात है 1989 की तब मेरी उम्र 9 वर्ष की थी उन दिनों गांव में हमारी दादी जी की तबीयत अचानक खराब हो गई थी गांव के कई हकीम वेद्यों को दिखलाया कोई आराम नहीं आया मोहल्ले के एक हकीम ने हमारे दादा जी को बताया तुम एक गाय पाल लो उसका दूध प्रतिदिन सवेरे … Read more

सड़क का पायलट- नेकराम Moral Stories in Hindi

शहर में सबसे बड़ा फ्लैट भानु प्रताप का है ,,,क्यों ना हो,,, हवाई जहाज के पायलट जो है घर के बाहर एक बड़ी सी गाड़ी उन्ही की खड़ी हुई है रात के करीब 11:00 बजने वाले हैं भानु प्रताप ने गाड़ी में एक बड़ा सा गिफ्ट रखते हुए अपनी पत्नी शारदा से कहा ,,,मित्र की … Read more

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