जन्मदिन अखबार का – देवेंद्र कुमार Moral Stories in Hindi

अखबार देखते ही विनय का माथा गरम हो गया। पता नहीं यह किसकी बेहूदगी थी। अखबार के पहले पन्ने पर किसी ने जगह जगह ‘जन्मदिन’ शब्द टेढ़े मेढ़े अक्षरों में लिख दिया था। उन्होंने तुरंत अखबार वाले जीतू को फोन मिलाया। उससे अखबार की नई प्रति लेकर आने को कहा। जीतू कई वर्षों से उनके … Read more

बहुत प्यास लगी है – देवेंद्र कुमार Moral Stories in Hindi

एक था चोर। उसका नाम नहीं मालूम। वैसे नाम कुछ भी हो ,वह कहीं का रहने वाला हो ; क्या इतना काफी नहीं कि वह एक चोर था। हाँ तो रात में जब सब नींद की गोद में आराम कर रहे थे, तब वह जाग रहा था। उसका इरादा चोरी करने का था। और फिर … Read more

गेंद का बचपन – देवेंद्र कुमार Moral Stories in Hindi

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जया की रमा दादी पूजा कर रही थीं। रविवार का दिन था, घर के सब लोग बाहर गए थे, नीचे बच्चे शोर मचा रहे थे, इसलिए दादी का ध्यान बार बार भटक जाता था। तभी झन्न की आवाज के साथ पूजा की थाली उलट गई। जलता दीपक बुझ गया, पूजा की सामग्री बिखर गई। बच्चों … Read more

आम का स्वाद – देवेंद्र कुमार Moral Stories in Hindi

“अजय, आज घर पर ही रहना। अपने दोस्तों के साथ खेलने मत जाना। दादी अकेली हैं, उनका ध्यान रखना।” कहकर अजय के पापा अविनाश बाहर चले गए। अजय को पता था कि आज मम्मी अस्पताल गई हैं। पापा कह रहे हैं—जल्दी ही अच्छी खबर सुनने को मिलेगी। वह खबर क्या होगी, इसे अजय समझता है। … Read more

टूटा पंख – देवेंद्र कुमार Moral Stories in Hindi

एक था किसान। तेज धूप में भी खेत में मेहनत कर रहा था। खेत के किनारे एक पेड़ था हरा-भरा, छायादार। पेड़ की ओर देखता तो मन करता कुछ देर आराम कर ले। पर फिर सोचता, “बस थोड़ा काम और निपटा लूँ, तब आराम करूँ।” तभी दो घुड़सवार वहाँ आकर रुके। घोड़े थकान और गर्मी … Read more

दही की करामात – देवेंद्र कुमार Moral Stories in Hindi

राजा विजयसिंह भोजन कर रहे थे। ऐसा बहुत कम होता था कि राजा को एकांत में भोजन का अवसर मिले। वह हमेशा ही व्यस्त रहते थे। हर समय राज्य के बड़े अधिकारी कोई न कोई काम लेकर उनके पास आते ही रहते थे। आज रानी जयवंती ने अपने हाथों से विजयसिंह का मनपसंद पकवान बनाया … Read more

जंगल में रोटी – देवेंद्र कुमार Moral Stories in Hindi

हरदीप सेठ बेटे प्रताप के साथ किसी काम से अपने पुश्तैनी गाँव जा रहे थे। दोनों घोड़ों पर सवार थे। हरदीप काफी पहले शहर में आकर व्यापार करने लगे थे। वहीं बड़ा मकान बनवा लिया था। पर बीच में जब भी समय मिलता गाँव जा पहुँचते। पुराने लोगों से मिलने और अपनी पुश्तैनी हवेली में … Read more

पार्टी हो जाए – देवेंद्र कुमार Moral Stories in Hindi

पुष्पा के घर किटी पार्टी चल रही थी। पुष्पा की सारी सखियाँ अपने परिवार के साथ आई थीं। डिनर हो चुका था, पर पार्टी ख़त्म होने पर नहीं आ रही थी। अब बच्चे बोर हो रहे थे। उन्होंने आपस में खुसफुस की, फिर सबको सुना कर कहा, “हम आइस क्रीम खाने जा रहे हैं।” फिर … Read more

घंटी की आवाज – देवेंद्र कुमार Moral Stories in Hindi

अनुज और दयाल स्कूल से घर आ रहे थे। घर तक शार्ट कट के लिए मैदान पार करते समय एकाएक दयाल लड़खड़ा गया। अगर अनुज ने हाथ न पकड़ा होता तो दयाल मुँह के बल गिर जाता। संभलकर वे जमीन की तरफ देखने लगे– जमीन पर एक डोरी पड़ी है। उसके दो छोरों पर छोटी-छोटी … Read more

वीरजी नाराज़ है – देवेंद्र कुमार Moral Stories in Hindi

एक था हाथी। जंगल में लकड़ियाँ ढोने का काम करता था। उसकी देखभाल करता था भीमा महावत। भीमा हाथी को प्यार से वीरजी कहता, वैसे वीरजी शांत स्वभाव का था, पर कभी-कभी किसी बात पर क्रोध आ जाता तो जोर से चिंघाड़ उठता। वीरजी की चिंघाड़ सुनकर जंगल में हलचल मच जाती। परिंदे डरकर पंख … Read more

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