रंग बदलती जिंदगी – संगीता त्रिपाठी
उफ़्फ़..पीड़ा की एक लहर आई और उसे माँ की याद दिला गई।ऐसे ही माँ भी पीड़ा से गुजरी होंगी। दिलजोत सोच रही थी।पहले कहाँ भान हुआ था, स्त्री के जज्बातों की। वो तो लाडली बेटी थी। माँ, पापा और चाची की। दिलजोत के पापा दो भाई थे, दोनों में बहुत प्यार था। चाचा मुखविंदर को … Read more