स्नेहिल छाँव – सपना शिवाले सोलंकी
“सुनों बहू ,इतनें सालों से खूब संभाल ली इस गृहस्थी को अब मेरे बस की बात नहीं …” रमा ने बड़े ही तल्खी के साथ कहा था। नेहा को सुनकर थोड़ा अजीब तो लगा पर उसनें बड़े ही प्यार से कहा, “जी मम्मी आप समझा दीजिएगा जैसा आप कहेंगी मैं वैसा कर लूँगी” और उस … Read more