वो मनहूस नौलखा – कुमुद मोहन

बिस्तर पर लेटी राधा छत पर घूमते पंखे की घूमती पंखुड़ियों को ध्यान से देख रही थी जिनके घूमने के साथ साथ जैसे वक्त का पहिया कई साल पीछे चला गया हो। सोचते सोचते यादों की किताब के पन्ने जैसे एक-एककर खुलने लगे। वक्त की स्याही धुंधली जरूर पड़ गई थी पर शब्दों के निशान … Read more

राखी का अनमोल तोहफ़ा,, ना कभी देखा होगा ना सुना होगा,, – सुषमा यादव

,, मेरे प्यारे भैया, कहां हो तुम ? जहां भी होंगे, अच्छे से ही होंगे,, राखी का त्यौहार आ रहा है, तुम्हारी बहुत याद आ रही है, और उस राखी पर तुमने मुझे ऐसा अनमोल उपहार दिया शायद ही किसी भाई ने आज़ तक अपनी बहन को दिया होगा ,, तुम्हें याद है,जब मैं तुम्हारे … Read more

नींव का पत्थर – नम्रता सरन”सोना

“अरे भाभी! घर का तो नक्शा ही बदल दिया, ऐसा लग ही नही रहा कि यह वही घर है, जहाँ मेरा जन्म हुआ, जहाँ मैं पली- बढ़ी, सब कुछ बदल गया। हाँ,  पर अच्छा किया आपने रिनोवेशन करवाकर” संस्कृति ने चारों तरफ नज़र घुमाते हुए कहा। संयोगवश काफी समय के बाद संस्कृति मायके आई थी, … Read more

स्नेहिल छाँव – सपना शिवाले सोलंकी

“सुनों बहू ,इतनें सालों से खूब संभाल ली इस गृहस्थी को अब मेरे बस की बात नहीं …” रमा ने बड़े ही तल्खी के साथ कहा था। नेहा को सुनकर थोड़ा अजीब तो लगा पर उसनें बड़े ही प्यार से कहा, “जी मम्मी आप समझा दीजिएगा जैसा आप कहेंगी मैं वैसा कर लूँगी” और उस … Read more

फ़ैसला – प्रीति आनंद अस्थाना

“मैं नहीं रह सकता अब एक भी दिन इस जाहिल औरत के साथ! इसके शक्ल से चिढ़ हो गई है मुझे!” अविनाश की तेज आवाज़ सुन शोभना जी ड्रॉइंग रूम में पहुँची तो वहाँ का नज़ारा कतई ख़ूबसूरत नहीं था। काँच के टुकड़े ज़मीन पर बिखरे हुए थे। कार्पेट गीला हो रहा था। अविनाश का … Read more

भाभी की सीख – अनुपमा

मानसी मानसी कहां हो , जल्दी बाहर आओ तुम्हे कुछ दिखाना है । आशु आवाज देता हुआ सीधे मानसी के कमरे मैं चला गया और उसे लगभग खींचता हुआ बाहर ले आया और उसे अपनी नई बाइक दिखाने लगा । मानसी और आशु पड़ोसी थे ,साथ है बचपन से , नर्सरी से कॉलेज भी साथ … Read more

संजीवनी बूटी सा मायका — डॉ उर्मिला शर्मा

ट्रैन से उतरकर नम्रता ने आंखों में गहरे उतार लेने वाली नजरों से प्लेटफार्म को देखा। मन एकसाथ घोर अपनापन और परायापन दोनों से भर उठा। यह उसका अपना शहर, अपना मायका है। वह यहां एक दिन के लिए एक सेमिनार में आई थी। घर से निकलते समय पड़ोसन शिल्पा ने उसे लगेज के साथ … Read more

किसका घर/ माता पिता का या बेटे का – रचना कंडवाल

“पापा नया घर बिल्कुल तैयार हो चुका है। सोच रहा हूं कि वहां दीपावली पर शिफ्ट कर लूं।” सिद्धार्थ ने अपने पापा गोविंद प्रसाद जी से कहा। सिद्धार्थ गोविंद जी और सुधा का इकलौता बेटा है। सुधा वहीं पर बैठी मूकदर्शक बनी चुपचाप सुन रही है। पिछले कुछ दिनों से उसने किसी भी बात पर … Read more

स्वार्थी माँ – मुकेश पटेल :Moral stories in hindi

Moral stories in hindi : रजनी बहुत खुश थी क्योंकि उसकी शादी शहर में होने वाली थी उसका ससुराल दिल्ली में था पति भी सरकारी नौकरी करता था इससे ज्यादा रजनी को और क्या चाहिए था।  रजनी तो कभी सोच भी नहीं सकती थी कि उसकी शादी इतने अच्छे घर में होगी।  आखिर वह दिन … Read more

संस्कार अपना अपना -मुकेश कुमार

एक परिवार में 4 देवरानी जेठानी रहती थी । शादी के 15 साल हो गए थे लेकिन अभी भी सबसे बड़ी जेठानी को कोई बच्चा नहीं हुआ था। उस से छोटी तीन देवरानियों के बेटे स्कूल में पढ़ने लगे थे वह भी इंग्लिश मीडियम स्कूल में क्योंकि तीनों देवर सरकारी नौकरी करते थे। बड़ी जेठानी … Read more

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