भाग्यहीन – निभा राजीव निर्वी : Moral Stories in Hindi
“जाहिल गंवार कहीं की!!! मैंने कौन सी फाइल लाने कही थी और तुम यह क्या लेकर के आई हो… शक्ल के साथ-साथ अक्ल भी घास चरने चली गई है क्या…हे भगवान! यह किसके पल्ले बांध दिया मुझे मेरे मां-बाप ने… मुझसे बड़ा भाग्यहीन कौन होगा जो तुम्हारे जैसी गंवार मेरे मत्थे मढ़ दी गई… अब … Read more