तुम पहले मां तो बनो – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi

सुहासिनी जी अपनी बेटी और नातिन के साथ आज अपनी सहेली,शांति के घर आई थी घूमने।रविवार होने की वजह से शांति जी की बहू पूरे घर की साफ-सफाई में व्यस्त थी।अखबार पढ़ती हुई शांति जी जब  को बहू ने बताया कि उनकी सहेली सुहासिनी आंटी आईं हैं,तो तुरंत उन्होंने कहा”हो गया कल्याण। अब आज फिर … Read more

सिर्फ बहू से बेटी बनने की उम्मीद क्यों? – श्वेता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

सुधा की नजरें बहुत देर से एक माॅं- बेटी की जोड़ी पर टिकी हुई थी। वह उन्हें पहचानने की कोशिश कर रही थी। “माॅं, प्लीज मान जाइए ना। यह लाल रंग की ड्रेस आप पर बहुत अच्छी लगेगी।” “देख बेटा, जिद मत कर। मैंने कह दिया ना मैं इतना ब्राइट कलर नहीं पहनूॅंगी। बिल्कुल बूढी … Read more

“सिर्फ बहू से बेटी बनने की उम्मीद क्यों – रंजीता पाण्डेय : Moral Stories in Hindi

बहू सुन रही हो , खाना बना की नही? जल्दी काम खतम करो सब लोग आते होंगे | जी मम्मी सब काम हो गया है  | आज घर में मम्मी जी की  किटी पार्टी थी | इस लिए मम्मी जी कुछ ज्यादा ही खुश थी | सब लोग आ गए थे | फिर क्या था … Read more

बेटी बना कर रखूंगी – शिव कुमारी शुक्ला : Moral Stories in Hindi

कहते हैं  ताली एक हाथ से नहीं बजती, दोनों हाथों का उपयोग करना जरूरी होता है ठीक वैसे ही सिर्फ बहू से ही बेटी बनने की उम्मीद करना एक असफल प्रयास है क्योंकि जब तक पूरा परिवार उसे बेटी नहीं  मान लेगाऔर बेटी के समान ही उससे व्यवहार नहीं करेगा तब तक बहु-बहु ही रहेगी … Read more

सिर्फ़ बहु से बेटी बनने की उम्मीद क्यों ?? : Moral Stories in Hindi

सुबह -सुबह घर की घंटी बजी , देविका ने दरवाजा खोल कर देखा तो सामने शर्मा ऑन्टी थीं।  उसने अभिवादन कर उन्हें बैठाया।  तभी उसकी सासूमाँ सरिता जी भी अपने कमरे से बाहर आकर हॉल में बैठ गयी।  दोनों बातें करने लगी।  देविका चाय-नाश्ता लेकर हॉल में पहुँची तो उसकी सास हर बार की तरह … Read more

अपेक्षाओं की चादर – दीपा माथुर : Moral Stories in Hindi

सूरज ढलने को आतुर था ऐसा लगता था की धीरे धीरे पृथ्वी  की गोद में समा जायेगा। पर ऐसा होता तो नही है सूरज कब ढलता है हमने तो सुना है। पृथ्वी घूमती है। सूरज तो यहां से ढला और अमेरिका में दिखने लगेगा। सच में जो दिखता है वो सच थोड़े ना होता है। … Read more

हम तो बेटी बनाकर लाएँ है – करुणा मलिक : Moral Stories in Hindi

समधिन जी , आप क्यों इतना रो रही है? जब चाहें बुला लिया करना मानवी को या खुद चली आया करना , दूर ही कितना है , एक- डेढ़ घंटा बस ……देखना , कैसे बेटी बनाकर रखेंगे हम ।  मानवी के कानों में अक्सर विदाई के समय कहे गए अपनी सास अंजू के स्वर गूँजते … Read more

सिर्फ बहू से ही बेटी बनने की उम्मीद क्यूं की जाती हैं दामाद भी बेटा बन सकता हैं। – अराधना सेन : Moral Stories in Hindi

क्या बात हो गई आज भी नही आओगे क्या घर जमाई बनने का इरादा हैं क्या सासु माँ अलोक जी से फोन पर जोर जोर से बोल रही थी ताकी आवाज सीमा तक पहुंचे,सीमा खाना बनाने मे मगन थी मन मे चिंता तो हैं लेकिन घर की इतनी जिम्मेदारी हैं की कुछ भी सोचने का … Read more

सिर्फ बहु से बेटी बनने कि उम्मीद क्यों??? – कृति : Moral Stories in Hindi

आज निशा का आखिरी दिन था उसके ससुराल में। वैसे तो कई सारी यादें हैं जो उसके जीने के लिए काफ़ी थे मगर ये यादें सिर्फ उसके लिए थे क्यूंकी, सागर को तो फर्क ही नहीं पड़ता था कि वो घर में है भी या नहीं। उसको सिर्फ मतलब था तो सिर्फ इतना को उसका … Read more

सिर्फ बहू से बेटी बनने की उम्मीद क्यों? – कुमुद मोहन : Moral Stories in Hindi

“लो बहूरानी संभालो अपना राजपाट! ,और मुझे छुट्टी दो इस जंजाल आज से  इस घर की मालकिन तुम!” मुझे तो तुम्हारा ही इंतज़ार था कि कब आओ और इस घर गृहस्थी के झंझट से निजात पाकर मैं भी सुकून की सांस ले सकूं! भगवान ने हमें बेटी नहीं दी पर आज तुम्हारे आने से हमारे … Read more

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