बेटी बनाम बहू – शिव कुमारी शुक्ला : Moral Stories in Hindi

यदि हर सास अपनी बहू को एक साधारण इंसान समझ ले जिसको दर्द होता है,थकती है, भूख-प्यास लगती है,कड़वी बातों से उसका स्वाभिमान  चोटिल होता है, वह भी हाड मांस की बनी इंसान है कोई रोबोट या मशीन  नहीं जो केवल चौबीस घंटे काम करती  रहेगी।सुबह पाँच बजे से उठकर रात ग्यारह  बजना तो मामूली … Read more

दूसरी की बेटी – पूनम बगाई : Moral Stories in Hindi

 सुबह का वक्त था, घर में ख़ुशी और उत्साह का माहौल था।  रेखा, अपने माता-पिता की प्यारी बेटी, ने एक स्वस्थ बेटी को जन्म दिया था। घर के सभी लोग उसके आसपास इकट्ठा थे। मिठाइयाँ बँट रही थीं, बधाइयाँ दी जा रही थीं, और सबकी निगाहें रेखा और उसकी नन्हीं बेटी पर टिकी हुई थीं। … Read more

ससुराल वाले अपनी बेटी की चिंता करेंगे या बहू की-बहू तो दूसरे की बेटी है – कुमुद मोहन : Moral Stories in Hindi

“इना!करवा नहीं भेजा तुम्हारी माँ ने?”करवा चौथ के दिन इना की सास सुनीता जी इना के मायके से आए बायने का समान फैलाकर बैठी थीं! इना-“मम्मी जी!माँ ने चेक भेजा है कि अपनी पसंद का चाँदी का करवा मंगा लें, कोरियर में खोने का डर था”, “हाँ पर चेक में पानी भर कर अर्ग देगी … Read more

ससुराल वाले अपनी बेटी की चिंता करेंगे या अपनी बहु की बहू तो पराए घर की बेटी है। – दीपा माथुर : Moral Stories in Hindi

तारामणि ने पर्स को हाथ में लिया और बोली ” पूजा रात घुटनो में दर्द हो रहा था हॉस्पिटल दिखा आती हु “ सुनो बच्चे स्कूल से आए तो गर्म गर्म फुलके सैक देना  विद्या ( पुत्र वधु) सब्जी बना गई और आटा उसन गई है। पूजा जो रात को ही ससुराल से आई थी … Read more

“चिंता किसकी?”** – कुनाल दत्त : Moral Stories in Hindi

 श्रीवास्तव जी और उनकी पत्नी सुमित्रा देवी दोनों अपने जीवन के साठ बसंत देख चुके थे। उनका एक बेटा, रवि, आईटी में काम करता था, और उसकी पत्नी पूजा घर की बहू बनकर आई थी। सब कुछ ठीक था, लेकिन श्रीवास्तव जी के मन में एक बात हमेशा चलती रहती थी— कि बहू तो किसी … Read more

ससुराल में अपनी जगह बनानी पड़ती है – मंजू ओमर : Moral Stories in Hindi

आज अवनि क्षितिज से झगड़ा करके मायके में आकर बैठ गई थी। क्षितिज बार बार फोन कर रहा था पर अवनि फोन नहीं उठा रही थी। शादी के समय बहुत सीधी साधी सी दिखने वाली अवनि शादी के बाद बात बात में तुनक जाती थी और मुंह फुलाकर बैठ जाती थी।और नहीं तो लोकल मायका … Read more

सच से सामना – बालेश्वर गुप्ता  : Moral Stories in Hindi

 माँ, मुझे दो दिन यहां आये हुए हो गये हैं, मैं देख रही हूं,भाभी तुम्हारा कोई विशेष ध्यान  नही रखती है।मुझे ये अच्छा नही लग रहा।         अरे नहीं,सुशी बेटी,ऐसा नही है,माधवी मेरा पूरा ध्यान रखती है।वो तो तुम आयी हुई हो ना,इसलिये काम बढ़ गया है, वह इसी में लगी रहती है।फिर इससे हम माँ … Read more

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