नई माँ-रीटा मक्कड़

कितना खुश था रवि उस दिन जब उसको पता चला कि उसके पापा उसे लेने आ रहे हैं।उसकी दादी ने उसको बताया अब वो शहर में ही रहेगा। दो साल से उसको दादी दादू के साथ गांव में रहना पड़ रहा था। हालात ही कुछ ऐसे हो गए थे। दो साल पहले रवि की मम्मी … Read more

“परिचय” -ऋतु अग्रवाल

  मेरी कक्षा में एक लड़की थी। उसका नाम था- प्रतिष्ठा। पढ़ने में बहुत होशियार, समझदार और साथ में व्यवहार कुशल भी थी परंतु उसकी सब काबिलियत पर एक चीज भारी पड़ती। वह था उसका बहुत ही पक्का रंग। कक्षा में सदैव द्वितीय या तृतीय स्थान पर आती। सभी टीचर उससे बहुत खुश रहती थीं। सभी … Read more

 रिश्तों में फ़र्क क्यों?’ – विभा गुप्ता

   अरुणा की बहू पाँच महीने से गर्भवती थी।दो वर्ष पूर्व ही उसने अपने बेटे का बड़े ही धूमधाम से विवाह किया था।मुँह-दिखाई के समय महिलाओं ने उसकी बहू को जी भर के ‘दूधो नहाओ, पूतों फलों’ का आशीर्वाद दिया था।अपने आसपास के घरों और रिश्तेदारों के यहाँ किलकारियों की आवाज़ सुनती तो उसका भी मन … Read more

सासु मां के ताने – मंजू तिवारी

बहू-मम्मी आज तो बड़ी ठंड है देखो मेरे हाथ कितने ठंडे हो गए।   सास-ठंड है तो इसमें क्या कर सकते हैं हाथों को क्या देखना। बेटी-मम्मी आज तो बड़ी ठंड है देखो मेरे हाथ कितने ठंडे हो गए।                  मां-तेरे हाथ तो बहुत ठंडे है अच्छे से कपड़े पहन लो नहीं तो बीमार पड़ जाओगी बहुत … Read more

जींस  – कमलेश राणा

 मेरे बच्चों और पतिदेव को जानवरों से बड़ा प्यार है,,,पर मुझे उन्हें छूने में बड़ा डर लगता है इसलिए मैं दूर ही रहना पसंद करती हूँ,,,  एक बार बेटे के मित्र के पिताजी का ट्रांसफर जबलपुर हो गया,,,उनके पास डाबरमैन प्रजाति का कुत्ता था,,देखने में ही बड़ा खूंख्वार लगता था  ,,,वैसे भी यह भेड़िया प्रजाति … Read more

ख़त – अनु मित्तल ‘इंदु ‘

कुमुद ने  भी अपने  पिता की मर्ज़ी के आगे सर झुका दिया था । लड़के वाले आये थे देखने । लड़का देखने में सुँदर पढ़ा लिखा था , परिवार भी संपन्न था । परिवार से भी उसकी  मम्मी की पुरानी पहचान निकल आई थी। लड़के की भाभी कुमुद के मम्मी को जानती थीं  ।दोनों  एक … Read more

ज़िंदगी मिलेगी दोबारा – रश्मि स्थापक

“कुछ भी कहो कर्नल…चमक रहे हो आजकल…भई बात क्या है?” कहते हुए नरेंद्र ने जोरदार ठहाका लगाया। ये दोनों सेवानिवृत्त दोस्तों की सुबह की सैर की बातचीत थी। “अरे यार ….तुम भी अच्छा मज़ाक करते हो …इस पचहत्तर की उम्र में अब क्या चमकेंगे और तुम्हारी भाभी के बाद तो जैसे सब चला गया।” “वो … Read more

हौसला एक पिता का – अनुपमा #लघुकथा

बहुत सुदूर प्रकृति की गोद मैं एक छोटा सा गांव था ,बहुत ही दुर्गम पहाड़ी इलाका था , वहां तक पहुंचने के लिए ही आठ दिन लगते थे वो भी पैदल पक्की सड़क से , हर वक्त बारिश और ठंड हो रही होती थी वहां। जब पूरे देश मैं लॉक डाउन हुआ तो वहां की … Read more

एक पिता ऐसे भी –  लतिका श्रीवास्तव #लघुकथा

……शादी की धूम धाम समाप्ति पर थी,मुझको  दो दिन हो गए थे ससुराल में आए हुए सुबह से लेकर शाम रात तक बहु देखने और मिलने वालों का तांता लगा हुआ था…अभी तक तो मैं अपने इस नए घर अपनी ससुराल के सभी कक्षों से ही परिचित नहीं हो पाई थी तो फिर घर के … Read more

अब आप ही मेरे पिता हैं – नीरजा कृष्णा #लघुकथा

उसने धीरे से दरवाजा खोल कर देखा। रामेश्वर बाबू…. उसके ताऊ जी….गहरी नींद में थे। एकदम क्लांत चेहरा… घोर थकावट और दुख की गहरी छाया उनके चेहरे पर बिखरी हुई थी। एक बार तो उसे लगा…ना उठाया जाए…सो लेने दिया जाए पर घड़ी पर निगाहें गई तो….अरे शाम के चार बज गए थे,” ताऊ जी! … Read more

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