बड़ी बहू तो घर की बंधुआ मजदूर थी – स्वाती जैन : Moral Stories in Hindi

वीणा , हमारी बेटी के लिए एक से एक रिश्ते आ रहे हैं मगर तुम हो कि सारे रिश्ते रिजेक्ट करती जा रही हो और बेटी की शादी कराने का नाम ही नहीं ले रही हो , मुकेश जी अपनी पत्नी वीणा से बोले !! वीणा जी बोली – पहली बात तो मैं अपनी बेटी … Read more

मुझे माफ़ कर दो – करुणा मलिक : Moral Stories in Hindi

दीदी , चल पड़ी हो क्या ? हाँ भाभी , ट्रेन चल पड़ी है । सीट तो ठीक मिल गई? बच्चों के साथ कोई परेशानी तो नहीं होगी ? जीजाजी भी आ जाते तो अच्छा रहता ।  नहीं-नहीं भाभी , कोई दिक़्क़त नहीं । आराम से पहुँच जाएँगे चलिए रखती हूँ । मिलने पर बात … Read more

ज़िम्मेदारी का एहसास – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

” अरे सिम्मी बुआ आप! आप कब आईं?” कहते हुए काजल ने अपना बैग सोफ़े पर रखकर बुआ को प्रणाम किया और अपनी मम्मी सुनयना से बोली,” मम्मी…बहुत थक गई हूँ।एक कप चाय…।” कहते हुए वह अपने कमरे में जाने लगी तो सिम्मी बुआ आश्चर्य-से बोली, ” काजल तू यहाँ…तुझे तो अपने घर होना चाहिए … Read more

बेटी अब से ससुराल ही तेरा घर है अब तो तू यहां की मेहमान है। – प्रतिभा भारद्वाज ‘प्रभा’ : Moral Stories in Hindi

सुबह सुबह अचानक अपनी बेटी सौम्या को अकेले दरवाजे पर देखकर पूनम आश्चर्यचकित रह गई। सौम्या की शादी कुछ ही महीने पहले हुई थी और ऐसा भी नहीं है कि सौम्या पहली बार इस तरह अकेले आई हो…इससे पहले भी वह अपने पति सुलभ से छोटी छोटी बातों पर झगड़कर अपने पति की शिकायत करने … Read more

जिंदगी रोबोट सी – बालेश्वर गुप्ता : Moral Stories in Hindi

बेटी अब ससुराल ही तेरा घर है, मायके में तो तू मेहमान है-यही कहा था ना माँ। जिसके साथ गठबंधन कर रिश्ता जोड़ा था, वह तो हर दूसरे दिन चोटी पकड़कर घर से निकल जाने की धौंस देता है, बता ना मां तू किस घर की बात कर रही थी? क्या ऐसा ही होता है … Read more

बेटी अब से ससुराल ही तेरा घर है – करुणा मलिक : Moral Stories in Hindi

जिस दिन पूर्वी का जन्म हुआ उस दिन परदादा महेंद्र प्रताप सिंह जी ने पूरे गाँव में लड्डू बँटवाए ।उनके  ना तो कोई बुआ थी ना बहन और ना ही बेटी । तीनों बेटों के भी बेटे ही बेटे ।  महेंद्र प्रताप सिंह  अपने समय के जाने- माने ज़मींदार थे । आस-पास के गाँवों में … Read more

बेटियाँ पराई हैं – श्वेता सोनी : Moral Stories in Hindi

शाम हो गई थी, सुलेखा माँ की राह देख रही थी, सड़क की तरफ देखने के लिए वह टेरिस पर आ गई,आज गुलाब के पौधों में कितने सारे गुलाब खिले हैं. सब सुलेखा के लगाए हुए हैं.कितनी छोटी सी है ना उसकी और माँ की दुनिया.. पापा के चले जाने के बाद बस वही दो … Read more

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