देवकन्या (भाग-23) – रीमा महेन्द्र ठाकुर : Moral stories in hindi
जिज्ञासा “””” इनको सुनकर पवन के दबाब से् दृव एंव पदार्थों मे घर्षण होती है,जिससे स्वर निकलता है, जो स्वाभाविक क्रिया है”परन्तु अर्थहीन होते है ये स्वर”जिनका कोई सार नही”””पुत्री परन्तु बाबा”””‘ इनको सुनकर ऐसे मन उद्देलित होता है,जैसे पग मे कुछ बांधकर दौड जाऊं”और उससे कुछ ऐसा स्वर झकृत हो ,जैसा स्वर इस घर्षण … Read more