‘चीख’ (आखिरी भाग ) – पूनम (अनुस्पर्श): Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : – ये तो हमारा कर्तव्य है इन जैसे भेडियों से अपनी बच्चियों को बचाना। मैं भी दो बेटियों की माँ हूँ। जब ड्यूटी पर होती हूँ तो दिल और दिमाग में बस उन्हीं का ख्याल रहता है। अकेली माँ जो ठहरी। पति का एक दुर्घटना में देहाँत हो गया। उन्हीं … Read more

‘चीख’ (भाग 6) – पूनम (अनुस्पर्श): Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : – गुस्से से वह मज़दूर बाहर आया और कहने लगा- बताओ क्या पूछना है? अभी अभी काम से थका हुआ आया हूँ।  चैन से पानी भी नहीं पीने दिया। अगर तुम मांगने वाले हो तो मेरे पास कुछ नही है देने के लिए।  वैसे हैं कौन हो तुम लोग? मज़दूर … Read more

‘चीख’ (भाग 5) – पूनम (अनुस्पर्श): Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : – दोनों एक दूसरे का हाथ पकड़ कर दूसरी गली की ओर चल पड़े । दोनों की आयु दस से भी कम थी। दोनों ही अच्छे दोस्त थे। दोनों के बाबा एक साथ जो सब्जी का ठेला लगाते थे।  दूसरी गली में भी दुकान बंद मिली तो  शामली फिर से … Read more

‘चीख’ (भाग 4) – पूनम (अनुस्पर्श): Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : – सुबह का निकला महेश दोपहर को घर पहुँचा अब भूख से आंते कुलबुलाने लगी तो हंसता हुआ बोला– मेरी प्यारी रानी अब सारी दोपहरी बातों में ही निकाल देगी। खाना तो खिला दे। कब से चूहे दौड़ लगा रहे हैं। हे भगवान मैं भी कितनी बुद्दू हूँ। पति छह … Read more

‘चीख’ (भाग 3) – पूनम (अनुस्पर्श): Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : – तब मेरे मन में एक बात आई कि शायद कहीं भगवान ने हम दोनों को इसीलिए तो नहीं मिलाया। सच पूछो तो हम दोनों की ही ज़रूरतें एक-दूसरे से जुडी थीं। उन्हें तुम्हारा दूसरा घर बसाना था। और मुझे शामली के लिए एक माँ को लाना था। जब तुम्हारे … Read more

‘चीख’ (भाग 2) – पूनम (अनुस्पर्श): Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : -अच्छा बाबा तू ही बता दे, क्या करती है? रानी पानी का गिलास महेश को देते हुए वहीं पलंग पर पसर गयी और शामली के सारे दिन की दिनचर्या का पिटारा खोल कर बताने लगी-  तुम्हारी लाडली जैसे ही स्कूल से आती है बाहर ही बस्ता ही फेंक कर कालू … Read more

‘चीख’ (भाग 1) – पूनम (अनुस्पर्श): Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : आज तो शामली की खुशी का ठिकाना न था। बाबा ने मंडी से आते ही दस रुपये का नोट जो उसके हाथ में रख दिया। जिसके लिए वह कई दिनों से जिद्द कर रही थी।  ये देखकर रानी महेश से कहने लगी। – हाँ, हाँ बिगाड़ लो। लाड-प्यार में हर … Read more

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