मेरे पिता – शनाया अहम : Moral Stories in Hindi

ओडिटोरियम में व्हीलचेयर पर बैठी स्मिता के आते ही तालियों की गड़गड़ाह से स्मिता का स्वागत किया गया , कुर्सियों पर चारों तरफ़ बैठे हुए लोग अपनी अपनी जगह उठ कर खड़े हो गए और उन्होंने तालियां बजाकर स्मिता का स्वागत किया।  मंच तक पहुंचते पहुंचते स्मिता के गले में फूलों की कई मालाएं डल … Read more

गुरुर… किस बात का – हेमलता गुप्ता : Moral Stories in Hindi

क्या रानू दीदी… पूरे 1 साल बाद गर्मियों की छुट्टियों में बच्चों के साथ आई हो  और कह रही हो बस चार-पांच दिनों के लिए ही आई हूं, तुम्हारे जीजाजी को खाने की परेशानी हो  जाती है, इस बार  मैं कुछ नहीं सुनने वाला और हां आज दोपहर में तैयार रहना हम सब वाटर पार्क … Read more

गुरुर – सिम्मी नाथ : Moral Stories in Hindi

स्नेहा   जैसे ही सोकर उठी मम्मी  खुश होकर बोलीं , उठ गई बेटा चलो , पापा तुम्हारा इंतजार कर रहे हैं , पता है  4:00 सुबह से उठकर आम के बागान  में आम चुन रहे हैं रात की  आई आंधियों में आम काफी बिखरे पड़े हैं । सुनकर स्नेहा  बोली हूऊं ।  जाती हूं … Read more

दायरे – श्वेता सोनी : Moral Stories in Hindi

“परी, चल जल्दी से शादी का जोड़ा पहन ले, जयमाले की रस्म होने ही वाली है”..  सुगंधा आज जितनी उत्साहित है उतनी ही विवश भी. बस आज की रात कल बेटी विदा होकर चली जाएगी अपने घर,कैसा लगेगा तब यह घर जिस घर के कोने कोने में परी और सुगंधा की साथ-साथ साझा की गई … Read more

कि रानी बेटी राज करेगी!! – पूर्णिमा सोनी : Moral Stories in Hindi

मैं लैब में हूं, मम्मी…(  मतलब, अभी बात नहीं कर पाऊंगी..) आद्या ने जवाब दिया पूनम ने इत्मीनान के भाव के साथ फोन रख दिया…. ज्यादा बात ही नहीं हो पाई आज ही क्या… लगभग अक्सर ही मां बेटी के बीच ( बस) इतनी ही बात हो पाती है। और ये बस इतनी सी बात … Read more

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