अंतर्मन की लक्ष्मी ( भाग – 5 ) – आरती झा आद्या : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : “बेटा, एक बात और, तेरी सासु माॅं को जब लगेगा कि तुम उनके आगे पीछे घूम रही हो तो वो तुम्हें शंका की नजर से दिखेंगी कि जब उन्हें कोई पसंद नहीं कर रहा तो तुम क्यों। आखिर तुम्हारा स्वार्थ क्या है, ये सब वो सोचेंगी। तब हो सकता है … Read more

अंतर्मन की लक्ष्मी ( भाग – 4 ) – आरती झा आद्या : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : “देख बेटा, ये एक दिन में हल होने वाली समस्या नहीं है। इसके लिए थोड़ा सोचना पड़ेगा। उनका विश्वास जीतना टेढ़ी खीर साबित होगी।” विनया की मम्मी उसका हाथ अपने हाथ में लेकर सहलाती हुई कहती है। “लेकिन मम्मी प्रयास तो करना ही होगा ना, सिर्फ उनके लिए ही नहीं, … Read more

समय का दान – डॉ अंजना गर्ग : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : “मीना इतवार को तो तेरी छुट्टी होती है फिर कहां से आ रही है। पिछले रविवार भी मैंने देखा था सुबह सुबह भाग रही थी ।”सरोज ने अपनी पड़ोसन मीना से पूछा । “बस कुछ खास नहीं । मैं हर इतवार को महिला वृद्धाश्रम जाती हूं ।”मीना ने कहा । … Read more

अंतर्मन की लक्ष्मी ( भाग – 3 ) – आरती झा आद्या : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : “जी माॅं”…कहकर विनया बाहर बैठक की ओर दौड़ी। उसकी मम्मी का सुनकर भी सासु माॅं ने एक बार भी उससे हाल चाल नहीं लिया, ये भी उसे अजीब सा लगा और एक पल के लिए नकारात्मक भाव भी आए। “मैंने ही तो पहले ही पूरी बात बिना पूछे कह दिया … Read more

अंतर्मन की लक्ष्मी ( भाग – 2 ) – आरती झा आद्या : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : “चाय पिएंगी बुआ।” विनया सुलोचना से पूछती है। “नेकी और पूछ–पूछ, इतनी भाषणबाजी के बाद कुछ तो इनाम मिलना ही चाहिए मुझे।” सुलोचना हॅंस कर कहती है। “पर कैसे ठीक करुॅं सब कुछ”…मन में सोचती विनया अपनी सास अंजना के कमरे की ओर देखती हुई रसोई की ओर बढ़ गई। … Read more

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