अंतर्मन की लक्ष्मी ( भाग – 25) – आरती झा आद्या : Moral Stories in Hindi
“हाहाहा भाभी, बुआ को इस तरह हड़बड़ाते देख एक कहावत याद आ रही है।” विनया के दोनों कंधे को पकड़ झूलती हुई संपदा हॅंसी से दुहरी हुई जा रही थी। “ननद रानी कौन सी कहावत है वो, जो हमारी प्रिय बुआ जी के लिए आप सोच रही हैं।” विनया परांठे सेंकती हुई कहती है। “भागते … Read more