अब भी मैं अपनी नहीं – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi
मालती पिछले तीस सालों से ससुराल में अपनी जिम्मेदारियां निभाती आ रही थी।वह लगभग भूल चुकी थी कि यह उसकी ससुराल है।ननदों की शादी, लकवाग्रस्त ससुर की दस साल सेवा,पति और बच्चों की देखभाल करते-करते बहुत साल गुज़र गए।ख़ुद उसकी उम्र पचास पार कर चुकी थी। सास -ससुर को अकेले छोड़कर पति और बच्चों के … Read more