धिक्कार – वीणा सिंह : Moral stories in hindi

पैंसठ साल की झुनकी फुआ की आंखों से अनवरत आंसू बह रहे थे.. भतीजे के बेटे की शादी थी… कितना मन था शादी में जाने का…. पर उम्रदराज महिलाओं और पुरुषों को ना हीं घरवाले ना हीं रिश्तेदार चाहते हैं शादी में शामिल हो!! अखबार में मोबाइल में मातृदिवस और पितृदिवस छाया हुआ है पर … Read more

धागे प्रेम के – प्राची अग्रवाल : Moral stories in hindi

घर को फूलों से अच्छी तरह से सजाया जा रहा था। सभी दरवाजों पर वंदरवार लगायी जा रही थी। बैलून डेकोरेशन वाला हार्ट की शॉप में लाल गुलाबी गुब्बारे फुला रहा था। कई मेकअप आर्टिस्ट घर की और रिश्तेदारी की महिलाओं को सजाने-संवारने के लिए लगे हुए थे। कुछ रिश्तेदार आ चुके थे। कुछ आ … Read more

धिक्कार – माधुरी गुप्ता : Moral stories in hindi

होली का त्यौहार नजदीक आ रहा था,पर मन में त्यौहार बाली उमंग नहीं आ पा रही थी,कारण दोनों बच्चे बेटा बेटी विदेश में जा बसे थे। कयोंकि शाय़द आजकल का यही चलन है।बैसे भी त्यौहार की रौनक तो बच्चो से ही होती है।बच्चे फरमाइश करें तो मां के मन में उर्जा आ ही जाती है … Read more

धिक्कार – आरती झा ‘आद्या’ : Moral stories in hindi

“देखिए मिसेज दत्ता, मैं आपको अधिक से अधिक दवा ही दे सकती हूॅं। आपकी दिनचर्या तो आप ही सुधार सकती हैं। देखिए आपका कोलेस्ट्रॉल, शुगर सब की रिपोर्ट गड़बड़ है। सुबह-शाम की नित्य सैर आपके लिए, आपके स्वास्थ्य के लिए बहुत ही आवश्यक है।” डॉक्टर माया क्लिनिक में नीरा दत्ता की रिपोर्ट्स देखती समझा रही … Read more

ओपन माइक – डॉ.पारुल अग्रवाल: Moral stories in hindi

नीलेश आज अपने आपको बहुत धिक्कार रहा था क्योंकि उसे लग रहा था कि जीवन में कुछ भी बनने में वो कामयाब नहीं रहा।आज मुंबई में आए हुए पूरा एक वर्ष हो गया था। वो एक बड़ा गायक बनने का ख्वाब लेकर इस सपनों की नगरी में आया था। उसके एक सफल गायक बनने के … Read more

दूरियां दिलों की मिटाना है – अमिता कुचया : Moral stories in hindi

रेनू मां मां ••••चिल्लाते हुए अंदर‌ आई बोली मां मैं आ गई ••• अरे मेरी प्यारी मीसा बेटू कहां है •••रेनू के कहते ही तब उसकी मां बोली- “अरे बेटा चैन की सांस लेकर थोड़ी बैठ तो जा …और चाय ,पानी पी ले। फिर बुला लेना।” हां- हां मां मैं पानी पी लूंगी।और चाय भी … Read more

रंगों का त्योहार – मंजू ओमर : Moral stories in hindi

होली का त्योहार नजदीक था लेकिन गायत्री जी के मन में कोई उत्साह नहीं था। गायत्री जी सोच रही थी क्या फर्क पड़ता है अब कोई त्यौहार आए या जाए । जैसे सब दिन बीतते हैं वैसे ये भी दिन बीत जायेंगे।अब कैसी होली और कैसी दीवाली।                    चाय पीते पीते अतीत में खो गई गायत्री … Read more

धिक्कार – हिमांशु जैन मीत : Moral stories in hindi

जीवन विविधताओं में ढला हुआ एक ताना बाना है जिसमें नफ़रत और प्यार जैसी भावनाएं कदम कदम पर आपके इम्तहान लेती रहतीं हैं…. अक्सर बेदखल जैसे शब्द को सुनकर माता पिता द्वारा अपनी संतान को बेदखल करने की तस्वीर ही ज़हन में उभरती है…… लेकिन यह कहानी ठीक इसके विपरीत है.. जी हाँ,ये कहानी है … Read more

शीतल छाया – करुणा मलिक : Moral stories in hindi

पम्मी, कुछ दिनों के लिए इंडिया जाना चाहती हूँ । मेरी टिकट बुक करवा दे पुत्तर । मम्मा, अभी तो मुझे छुट्टी नहीं मिल सकती । फिर बच्चों के पेपर आ जाएँगे । अभी कैसे…… मैं अकेले चली जाऊँगी । कुछ दिन आराम से रहना चाहती हूँ । जल्दी-जल्दी में जाना – आना , मन … Read more

धिक्कार है धिक्कार – सुभद्रा प्रसाद : Moral stories in hindi

रात के दो बजकर दस मिनट हो चुके   थे |प्रियंका स्टेशन के प्लेटफार्म  पर शाल ओढ़े चुपचाप बैठी थी | उसे समझ नहीं आ रहा था,  वह क्या करे? रात दो बजे वाली ट्रेन आकर आगे जा चुकी थी और उसका मन तेजी से पीछे की ओर भाग रहा था |       … Read more

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