मिट्टी के दीये – लतिका श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

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दिन भर घूम घूम कर दीवाली की  सारी खरीददारी करने के बाद  अरूणा थक गई थी।खरीददारी करना भी कितना कठिन काम होता है सबकी पसंद की चीजे सबकी फरमाइश की गिफ्ट्स दुकान दुकान जाकर  खरीदने में पसीने छूट जाते हैं ।ऊपर से दुकानदार भी हर सामान की ऊंची ऊंची कीमत वसूलना चाहते हैं त्यौहार आए … Read more

खुशियों का दीप – दीपा माथुर : Moral Stories in Hindi

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अवि खिड़की से बाहर टकटकी सी लगाई बैठी थी। तभी सौरभ ने आवाज लगाई ” अवि खाने का टाइम हो गया यार अब तो खाना परोस दो।” अवि वही से चिल्लाई ” बस दो मिनिट “ सौरभ डाइनिंग टेबल पर बैठ गया अवि खाना परोस रही थी की उसे याद आया ” अरे तुमने याद … Read more

खुशियों की तलाश – अंजु गुप्ता ‘अक्षरा’  : Moral Stories in Hindi

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सब कुछ है, पर न जाने क्यों हमारा ही घर खुशियां तलाशता रहता है, मन ही मन रमा सोच रही थी। फिर हिम्मत कर महेश से बोली, “सुनो जी! विभू नए लैपटॉप के लिए बोल रहा है।” “अभी दो साल पहले ही तो उसे लैपटॉप दिलवाया था, नए की क्या जरूरत है?” महेश जी मानो … Read more

खुशियों की दिवाली – संगीता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

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शशांक दिवाली आने वाली है, तुम्हारी नौकरी भी नही है… इस बार सब कैसे करना है ” श्रुति ने अपने पति से पूछा। ” श्रुति मैं खुद नही समझ पा रहा हर साल दोस्तों को उपहार देते थे इस बार अकेले तुम्हारी तनख़्वाह से घर चल रहा वही बहुत है । ” शशांक ने रूआसा … Read more

खुशियों के दीप जल उठे – गीता वाधवानी : Moral Stories in Hindi

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आज गीतिका जी बहुत खुश थी। उसकी बहू मिताली ने मंदिर से आते ही खुशखबरी सुनाई थी कि मम्मी जी आप दादी बनने वाली हो।    उसका नन्हा मुन्ना बेटा खुश आज इतना बड़ा हो गया है कि वह पापा बनने वाला है। कितने साल बीत गए उसके पति के गुजरने के बाद तो जैसे खुशियों … Read more

मनोकामना – करुणा मलिक : Moral Stories in Hindi

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सिद्धांत! मैं कितनी खुश हूँ, बता नहीं सकती…. अच्छा….. हमें भी तो पता चले तुम्हारी ख़ुशी का  ?  भाई दूज पर भइया- भाभी दोनों हमारे पास आ रहे हैं, अभी-अभी भाभी का फ़ोन आया था । शादी के बाद मेरी पहली भाई – दूज है । पहले मैंने सोचा था कि हम जाएँगे पर आज … Read more

बेटे की खुशी – पुष्पा जोशी : Moral Stories in Hindi

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    शामराव जी अपने घर की बालकनी में कुर्सी लगाकर बैठे थे, दो दिन के बाद दीपावली का त्यौहार था। पूरे घर पर रोशनाई लगवाई थी। मिट्टी के दिए भी मंगवा कर रखे थे, उन्हें यही लगता था कि मिट्टी के दियों को जलाए बिना कैसी दीपावली। दरअसल वे इन दिओ को जलाकर अपने पैतृक गाँव … Read more

समरस दीवाली – बालेश्वर गुप्ता : Moral Stories in Hindi

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            मेरे पिताजी ईंटो के भट्टो का कारोबार करते थे।सामान्यतः भट्टो पर कार्य विजयदशमी के बाद से प्रारंभ होता है।हालांकि कम पूंजी वाले अपने भट्टो का कार्य दिसंबर- जनवरी में भी शुरू कर लेते हैं।इसके लिये पहले से लेबर का प्रबंध करना होता है।लेबर भट्टे पर फुकायी शुरू होने की दिनांक से लगभग एक माह पूर्व … Read more

विंडो सीट – अंजु गुप्ता ‘अक्षरा’ : Moral Stories in Hindi

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गर्मियों की छुट्टियों के समय कन्फर्म सीट मिलना कोई आसान बात न थी । भतीजी की सगाई एकदम से तय हो गयी थी, सो जाना भी जरूरी था । विनय को ऑफिस से छुट्टी न मिल पायी थी। एक-दो दिन में आने का वायदा कर उसने सुरभि को जयपुर से चलने वाली जयपुर – चिन्नेई … Read more

वेस्टिंग मनी वाला सरप्राइज़ – निशा जैन : Moral Stories in Hindi

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दिवाली के चार पांच दिनो पहले  ” दीदी इस बार कितने कितने पैसे मिलाएंगे पटाखे लाने के लिए पॉकेट मनी से?” ईशान ने बड़ी बहन सिया से पूछा “अरे उतने ही जितने हर बार मिलाते हैं 500तू और 500मैं” सिया बोली पास ही बैठी उनकी मम्मी दिशा सारी बातें सुनकर बोली ” नही इस बार … Read more

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