अपनों का साथ – के कामेश्वरी : Moral Stories in Hindi

मेरे दादा जी रेलवे में मेल गार्ड के पद पर कार्यरत थे । उनकी चार लड़कियाँ और चार लड़के थे । वे हमेशा ड्यूटी पर होते थे पर पीछे से पूरे परिवार की देखभाल मेरी दादी कौशल्या जी ही करती थी । दादी हमेशा दादा जी से कहती थी कि आपके रिटायर होने से पहले … Read more

अपनों का सहारा – पुष्पा पाण्डेय : Moral Stories in Hindi

प्रन्द्रह साल बाद जेल में बीताने के बाद कांता जब घर लौटी तो सभी अपरिचित ही लगे। भाई जेल से लेकर आया तो भाभी को पसंद नहीं आया। ” अरे! इन्हें इनके ससुराल में छोड़ना था न। इतना बड़ा घर है, प्रोपर्टी है, इन्हें अब वहाँ  हक से अपने बेटे के साथ रहना था।” “हाँ … Read more

पांच गज की साड़ी – संध्या त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

अब सीखूंगी मम्मी जी साड़ी पहनना…. मुझे भी साड़ी पहनना पसंद है ….! पता नहीं  “अब ” वो “कब” आएगा …..और चीज़े सीखने में तो बिल्कुल समय नहीं लगता…. बल्कि हमें पता भी नहीं चलता और बच्चे माहिर हो जाते हैं ….l           हम तो जैसे माँ के पेट से ही सीख कर आए थे साड़ी … Read more

“दाता मैं तेरी शुक्र गुजार हूं ” – बिमला महाजन : Moral Stories in Hindi

 10 जुलाई,1993 रविवार का वह दिन भूलाए नहीं भूलता है। गर्मी की छुट्टियों के पश्चात् अगले दिन यानी सोमवार से स्कूल खुलने वाला था। स्कूल की प्रधानाध्यापिका होने के नाते एक दिन पूर्व ही स्टाफ मीटिंग कर चुकी थी। छुट्टियों का आखिरी दिन था । बच्चों को मनपसंद नाश्ता कराके बरामदे में निकली ही थी … Read more

“ खून के रिश्तो से बढ़कर” – हेमलता गुप्ता : Moral Stories in Hindi

चलिए चलिए… पार्क बंद होने का समय हो गया है बाहर पार्क का समय लिखा हुआ है फिर भी लोग हैं कि समझते ही नहीं है, 10:00 बजे तक पार्क बंद हो जाता है फिर क्यों यहां बैठे रहते हो?  मुझे सभी को भगाना अच्छा नहीं लगता! सभी जल्दी-जल्दी वहां से निकलने लगे, मिस्टर एंड … Read more

अपनों का साथ.… – रश्मि झा मिश्रा : Moral Stories in Hindi

 कंधे पर दुपट्टा डाल… गीता घर से निकलने ही वाली थी… कि बड़ी भाभी बोल उठीं…   “क्यों अपनी जिंदगी का… सत्यानाश करने पर तुली हैं… यह कोई उम्र है सत्संग करने की… मैं जाऊं करूं तो समझ आता है… आप क्यों रोज निकल पड़ती हैं…!”  वह गीता से उम्र में काफी बड़ी थीं…  ” भाभी… … Read more

अपनों का साथ – सरोज सिंह : Moral Stories in Hindi

      हमने पूछ ही लिया आप  कठोर होकर इतने सहज कैसे हैं?बहुत दिनों तक तक बस ओ (राम)हमारी बातों को टालते रहे या यूं कह सकते हैं कि अनदेखा करते रहे पर उन्हें देखकर और सुनकर लगता था कुछ तो है जो छुपा हुआ है।हमारा फेवरेट सब्जेक्ट psychology था सो थोड़ा लोगों की भावनाओं को समझता … Read more

“अपने तो अपने होते हैं” – कुमुद मोहन : Moral Stories in Hindi

“उमा! सुनो ग्रीन लेबल टी तो मंगा ली ना, जीजी वही पीती हैं!” “क्यूँ परेशान हो रहे हो? मैंने जीजी की पसंद की हर चीज़ जो जो तुमने बताई सब मंगा ली हैं” उमा ने हंसते हुए विजय से कहा? विजय की बड़ी बहन आज बरसों बाद एक हफ़्ते के लिए रहने को आ रही … Read more

जीत या हार – बालेश्वर गुप्ता : Moral Stories in Hindi

        मेरे पास एक पोस सोसायटी में एक अच्छा खासा फ्लैट था,मुझे इस फ्लैट में कोई दिक्कत भी नही थी।यह फ्लैट मेरे बेटे ने खरीदा था,उसने इसे खूब अच्छे से फर्निश करा रखा था।सबसे अच्छी बात यह थी इसी फ़्लैट में उसने एक खूब सुंदर मंदिर भी बनवाया था।मुझे मंदिर में बैठकर पूजा करना काफी सुकून … Read more

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