भेदभाव – कुमुद मोहन

Post View 702 “तू फिर आ गई! कितनी बार मना किया कमला का पीछा छोड़कर अपनी मां के साथ कूड़ा उठाया कर पर मजाल है जो इस कमबख्त के कान पर जूं रेंगती हो!” दादी का सुबह सुबह का रोज का डायलॉग सुनकर छः साल की नन्ही रिंकी मुँह लटकाऐ दरवाज़े के बाहर निकल जाती! … Continue reading भेदभाव – कुमुद मोहन